भोपाल
प्रदेश में विद्युत कम्पनियों में काम कर रहे आउटसोर्स स्टाफ को पूरा वेतन दिलाने के लिए ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का दो माह पहले किया गया दौरा भी उनका वेतन नहीं बढ़ा सका। इसके विपरीत मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी के अधीन काम करने वाले करीब 13 हजार आउटसोर्स कर्मचारियों को हर माह बोनस के रूप में मिलने वाला 700 से 900 रुपए और काट लिया गया। इन कर्मचारियों को सात से दस हजार रुपए के मासिक वेतन पर काम करना पड़ रहा है। यह वेतन राज्य शासन द्वारा तय किए गए कलेक्टर रेट से भी कम है।
विद्युत उत्पादन, वितरण और ट्रांसमिशन के काम में दिन रात लगे रहने वाले बिजली कर्मचारियों के साथ ऊर्जा विभाग के अफसरों की मिलीभगत से लूट खसोट जारी है। विभाग के सूत्रों का कहना है कि प्रदेश की तीनों ही विद्युत वितरण कम्पनियों पूर्व, पश्चिम व मध्य कम्पनी के क्षेत्र में 35 हजार से अधिक कर्मचारी आउटसोर्स के रूप में काम कर रहे हैं। कुल स्टाफ का 80 फीसदी आउटसोर्स कर्मचारी हैं। बावजूद इसके इन्हें कलेक्टर रेट से भी कम कीमत पर मासिक पगार दी जा रही है। यह सारा खेल विद्युत कम्पनियों के अधिकारियों की लापरवाही और शोषण की नीति के चलते चल रहा है।
सर्वाधिक अन्याय मध्य क्षेत्र कम्पनी में
आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ सबसे अधिक अन्याय मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी क्षेत्र में हो रहा है। यहां आउटसोर्स एजेंसी नए साल में चालू हुए ठेके में एजेंसी द्वारा बोनस के रूप में दिए जाने वाले 900 रुपए की राशि को नहीं जोड़ा गया है। नतीजा यह है कि मार्च माह तक यहां काम करने वाले आउटसोर्स को जो वेतन मिल रहा था, उसमें अप्रैल 21 के तीन दिन पहले दिए गए वेतन में से 900 रुपए काट लिए गए। इसके विपरीत पश्चिम व पूर्व क्षेत्र में भी कलेक्टर रेट से कम ही वेतन मिल रहा है पर जो टेंडर वहां हुए हैं, उसमें बोनस राशि जुड़ी है, इसलिए कर्मचारियों को पहले से मिल रहे वेतन में कटौती का सामना नहीं करना पड़ा है।
कमलनाथ ने लिखी सीएम को चिट्ठी
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने इसमें कहा है कि सरकार ने अर्द्धकुशल और कुशल श्रेणी के कर्मचारियों के लिए कलेक्टर रेट पर पारिश्रमिक तय किए हैं लेकिन एजेंसियों द्वारा ऐसा नहीं किया जा रहा है और कर्मचारियों का शोषण किया जा रहे है। मुख्यमंत्री इसे ठीक कराएं।
दौरे किए पर कर्मचारियों का भला नहीं कर पाए मंत्री
ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने जनवरी फरवरी में सब स्टेशन और आउटसोर्स के माध्यम से संचालित अन्य दफ्तरों का दौरा किया था और कम वेतन दिए जाने पर नाराजगी जताई थी लेकिन वे कर्मचारियों का भला नहीं कर सके। जब इसके लिए टेंडर हुए तो भी मप्र यूनाइटेड फोरम फार पावर एम्प्लाइज एंड इंजीनियर्स ने मंत्री से मिलकर इस पर विरोध जताया था लेकिन कुछ नहीं हो सका।
