पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने अंततः नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ दिया है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के जनरल सेक्रेटरी केसी वेणुगोपाल द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री के नाथ को लिखे गए पत्र में इसकी पुष्टि हुई है। वेणुगोपाल के पत्र के मुताबिक कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उनका नेता प्रतिपक्ष पद दिया गया इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। इसके साथ ही पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक डॉ गोविंद सिंह को पार्टी में ने नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया है। गौरतलब है कि कांग्रेस में पिछले 2 साल से नेता प्रतिपक्ष के पद को लेकर खींचतान चल रही थी। नाथ पर नेता प्रतिपक्ष या पीसीसी चीफ में से कोई एक पद छोड़ने का दबाव बनाया जा रहा था। इसके चलते पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ दिया है। अब वे विधानसभा में विधायक के तौर पर ही मौजूद रहेंगे।नई जिम्मेदारी मिलने के बाद गोविंद सिंह ने कहा कि मेरे पास पहले भी दायित्व था। नेता प्रतिपक्ष बनने से पंख नहीं लग गए। मैं विपक्ष की भूमिका निभाता था, निभाता रहूंगा और सरकार की गलत नीतियों का विरोध मजबूती के साथ करूंगा। सिंह ने कहा कि कमलनाथ ने इस्तीफा नहीं दिया। उन्होंने कार्य का बंटवारा किया है। उन्होंने मुझ पर विश्वास कर सहयोगी बनाया है। मैं उनका शुक्रगुजार हूं। उनके मार्गदर्शन में विपक्ष की भूमिका निभाऊंगा। गोविंद सिंह मध्यप्रदेश कांग्रेस के एकमात्र ऐसे विधायक हैं, जो लगातार सातवीं बार विधानसभा पहुंचे हैं। डॉ. गोविंद सिंह दिग्विजय सिंह के करीबी रहे हैं। यह लगातार तीसरा प्रमुख पद है जो दिग्विजय के करीबी को मिला है। हालांकि इसमें कमलनाथ की भी सहमति है। इससे पहले प्रदेश युवा कांग्रेसाध्यक्ष विक्रांत भूरिया और महिला कांग्रेसाध्यक्ष विभा पटेल भी दिग्विजय सिंह समर्थक माने जाते हैं।