भोपाल
आबकारी आयुक्त रह चुके और मध्यप्रदेश के रिटायर्ड आईएएस अफसर राजेश बहुगुणा ने एक बार फिर सरकार को घेरा है। बहुगुणा ने इस बार प्रदेश की ग्रोथ रेट और बेरोजगारी प्रतिशत को लेकर जारी किए गए सरकारी आंकड़े पर सरकार को घेरा है। साथ ही इन आंकड़ों के आधार पर जीएसटी संग्रह कम होने पर भी सवाल उठाए हैं। बहुगुणा ने तंज कसते हुए कहा है कि जब एमपी में बेरोजगारी का प्रतिशत सिर्फ 0.8 है तो यहां निवेश की जरूरत नहीं है और अगर उद्योग आए तो उन्हें मानव संसाधन नहीं मिल सकेगा।
मुंबई में राज्य सरकार की ओर से उद्योगपतियों को दिए गए आंकड़े के बाद रिटायर्ड आईएएस अफसर बहुगुणा ने सोशल मीडिया पर एमपी की ग्रोथ रेट और बेरोजगारी को लेकर यह तंज किया है। उन्होंने लिखा है कि यह खबर सोशल मीडिया में चल रही है और मैं सोच रहा हूं कि यदि मध्यप्रदेश की ग्रोथ करेंट प्राइज पर 19.67 प्रतिशत है और बेरोजगारी मात्र 0.8 प्रतिशत ही रह गई है तो अब इस प्रदेश में तो निवेश की आवश्यकता ही नहीं है। उद्योग आएंगे भी तो उद्योगों के लिए मानव संसाधन मिलना ही कठिन हो जाएगा। उन्होंने लिखा है कि दूसरे प्रदेशों कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, तेलंगाना , दिल्ली प्रदेशों को उद्योगों की आवश्यकता ज्यादा होगी जहां बेरोजगारी 0.8 प्रतिशत से काफी अधिक है। बेरोजगारी के प्रतिशत पर तंज सकते हुए उन्होंने लिखा है कि राष्ट्रीय औसत वर्तमान में 7.5 प्रतिशत से भी अधिक बताया जा रहा है लेकिन एक बात समझ में नहीं आती जब ग्रोथ इतनी भयंकर है और बेरोजगारी इतनी कम या नगण्य है तो विकसित मध्यप्रदेश में जीएसटी संग्रह में वृद्धि दर राष्ट्रीय औसत से काफी कम क्यों है? क्या यह भी पिछले वर्षों में प्राप्त कृषि वृद्धि की महानतम (न भूतो न भविष्यति) दर 24.99 प्रतिशत की तरह कागजों में तैयार की गई वृद्धि और आंकड़े हैं। ऐसे में इस विभाग को तो उत्कृष्टता पुरस्कार मिलना चाहिए।
