मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ के मीडिया एडवाइजर पीयूष बबेले की एक किताब 'कांग्रेस और राष्ट्र निर्माण की गाथा' में मोहम्मद अली जिन्ना की तुलना वीर सावरकर से किये जाने पर बीजेपी भड़क गई है। किताब में कहा गया है कि जिन्ना की तरह वीर सावरकर भी हिंदू और मुस्लिम दोनों को अलग राष्ट्र की तरह देखते थे। किताब में ये भी लिखा है कि आजादी के आंदोलन में आरएसएस का कोई योगदान नहीं था।
किताब के पेज नंबर 47 में 'भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की नकारात्मक शक्तियां/संगठन' पर लेख है। इसमें लिखा गया है कि दक्षिणपंथ के दूसरे प्रमुख नेता विनायक दामोदर सावरकर हैं। शुरुआती जीवन में वे देशभक्त थे। अंग्रेजों से लड़ रहे थे लेकिन काला पानी की सजा होने बाद उन्होंने रिहाई के लिए अंग्रेजों से बार-बार माफी मांगी। उसके बाद उन्हें काला पानी से निकालकर भारत में नजरबंद रखा गया। इसी बीच, उन्हें 'हिंदुत्व' नाम की किताब लिखने की छूट दी गई।
1923 में प्रकाशित इस बुक में उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता का विरोध किया। जिन्ना की ही तरह सावरकर भी हिंदू और मुसलमानों को अलग राष्ट्र मानते थे। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में जब कांग्रेस के बड़े नेता जेल भेज दिए गए तो जिन्ना ने पाकिस्तान और सावरकर ने हिंदू राष्ट्र की मांग को बढ़ावा दिया। इसके चलते हिंदू मुसलमानों में दूरियां बढ़ीं। किताब में लिखा है कि हिंदू दक्षिणपंथ के तीसरे बड़े नेता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी हैं। वे हिंदू महासभा के सदस्य होने के अलावा जनसंघ के संस्थापक भी हैं। इसी जनसंघ से बाद में भाजपा का जन्म हुआ। भारत छोड़ो आंदोलन में सावरकर की हिंदू महासभा ने आंदोलन का विरोध करने और अंग्रेज सरकार के समर्थन का फैसला किया। इसी समय मुखर्जी बंगाल में मुस्लिम लीग की सरकार में उप मुख्यमंत्री थे। उन्होंने अंग्रेज सरकार को पत्र लिखकर भारत छोड़ो आंदोलन को सख्ती से "कुचलने के लिए कहा। आरएसएस ने आंदोलन से खुद को दूर रखा, हम पहले ही बता चुके हैं। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की नकारात्मक शक्तियां/संगठन भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक तरफ अगर कांग्रेस, क्रांतिकारी आंदोलन और आजाद हिंद फौज जैसी राष्ट्रवादी सकारात्मक शक्तियां काम कर रही थीं। कुछ संगठन ऐसे थे, जिनकी भूमिका नकारात्मक रही। इन संगठनों में मुस्लिम लीग और हिंदू दक्षिणपंथी संगठन प्रमुख रहे।
राष्ट्रीय प्रवक्ता ने ट्वीट कर उठाये सवाल, मंत्री विधायक ने भी कांग्रेस को घेरा
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने ट्वीट कर इस किताब पर सवाल उठाए हैं। पूनावाला ने ट्वीट करते हुए लिखा- एक बार फिर कांग्रेस ने किया वीर सावरकर का अपमान; एक किताब में उनकी तुलना जिन्ना से की है। क्या उद्धव ठाकरे इस अपमान से सहमत हैं ? क्या इंदिरा गांधी, शरद पवार, नरसिम्हा राव सावरकर पर गलत हैं और राहुल, कमलनाथ सही हैं ? कांग्रेस परिवार के बाहर के सभी स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान करती है। इसके अलावा मंत्री विश्वास सारंग और विधायक रामेश्वर शर्मा ने भी इस मामले में कांग्रेस पर हमला बोला है।
कांग्रेस ने किताब सौंपने प्रदेश अध्यक्ष बीजेपी से मांगा समय
उधर कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को पत्र लिखकर किताब भेंट करने के लिए समय मांगा है। केके मिश्रा ने कहा कि पीयूष बबेले की किताब को लेकर बीजेपी जो बवाल मचा रही है। उस पुस्तक को वो लोग नहीं समझ पाए हैं। इतिहास को अब तक वो लोग समझ नहीं पाए हैं। बीजेपी के लोग इस किताब को पढ़ समझ सकें। इसके लिए हमने बीजेपी से समय मांगा है। बीजेपी को सच से गुरेज है। हम कोशिश करेंगे कि वो किताब उन्हें भेंट कर वैचारिक तौर पर यह समझा सके कि बीजेपी अनावश्यक जहर परोसने का काम न करे। ये किताब ऐतिहासिक दस्तावेज है।
