कांग्रेस के युवराज राहुल बाबा पूरे देश में एक पदयात्रा निकाल रहे हैं, जिसे नाम दिया गया है भारत जोड़ो। इस पदयात्रा में रोज एक नई नौटंकी देशवासियों को देखने मिल रही है, पर जहां कांग्रेस की सरकार है, उस तरफ राहुल बाबा का ध्यान नहीं जा रहा है। आदिवासी बहुल छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार लगातार धर्म परिवर्तन कराने वाली ईसाई मशीनरियों को संरक्षण दे रही हैं। सरकार के संरक्षण में तेजी से गरीब आदिवासियों का बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन किया जा रहा है।
बस्तर अबूझमाड़ में आप अगर आदिवासी गांव में जाएं तो वहां लगभग 90% से ज्यादा आदिवासी ईसाई धर्म अपना चुके हैं। अशिक्षा और विकास की बागडोर का न होना, स्वास्थ्य व्यवस्था न के बराबर होना, गरीब आदिवासियों के लिए अभिशाप साबित हो रही है। स्थानीय आदिवासी बंधु लगातार सरकार से गुहार लगा रहे हैं, पर सरकार के कान में जूं नहीं रेंग रही है। भोले-भाले आदिवासियों को विकास, बीमारी ठीक करने और पैसों का लालच देकर ईसाई धर्म के प्रति आकर्षित किया जा रहा है और उन आदिवासी परिवारों को जो आर्थिक रूप से कमजोर है, गरीब है उन्हें लगातार इसाई में कन्वर्ट कर अपना शिकार बना रही हैं। भारी मात्रा में धर्म परिवर्तित करा कर ईसाई बनाया जा रहा है। इसकी परिणति मूल आदिवासियों और कन्वर्ट ईसाई के बीच लगातार संघर्ष बढ़ता जा रहा है। कुछ दिन पूर्व की नारायणपुर की घटना तो सिर्फ इसकी बानगी है, नारायणपुर में धर्मांतरण के विरोध में आदिवासियों ने अपना विरोध दर्ज कराया तो ईसाई मिशनरी के लोगों ने पहले उन आदिवासियों के साथ गंभीर मारपीट की। इसाई मिशनरियों की मारपीट के खिलाफ जब भोले वाले आदिवासी इकट्ठा होकर प्रदर्शन कर रहे थे तो कांग्रेस सरकार के इशारे पर पुलिस द्वारा उनकी बेरहमी से पिटाई की गई और उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए जबकि पीड़ित आदिवासी बंधु थे जो ईसाई मिशनरी के लोगों द्वारा उनके साथ की गई पिटाई की शिकायत दर्ज कराने इकट्ठे हुए थे। कई आदिवासी बंधु गंभीर घायल होकर अस्पताल में भर्ती हुए पर कांग्रेस सरकार का कोई भी मंत्री, विधायक, सांसद, जनप्रतिनिधि उन्हें देखने नहीं पहुंचा। वोटों की राजनीति के लिए इस इसाई तुष्टिकरण के लिए कांग्रेस की सरकार के संरक्षण में इसाई मिशनरी लगातार धर्म परिवर्तन करा रही है और सरकार कोई कदम नहीं उठा रही क्योंकि जो आदिवासी बंधु ईसाई बन जाता है वह कांग्रेस का परमानेंट वोटर हो जाता है। यह सोच छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज और उसकी संस्कृति को खत्म कर रही है। गांव में वर्ग संघर्ष लगातार बढ़ता जा रहा है क्योंकि मूल आदिवासियों का यह सोचना है कि यदि गांव की जमीन में इसाई समाज के व्यक्ति को दफनाया गया तो पूरी मिट्टी दूषित हो जाएगी। आदिवासी बंधु अपनी संस्कृति, धर्म को बचाने के लिए मर मिटने के लिए तैयार बैठा है। बस्तर के गांव का स्वरूप तेजी से बदल रहा है वहां भारी तादाद में प्रार्थना घर और चर्च बन रहे हैं जो कहीं न कहीं आदिवासी बंधुओं के खिलाफ एक बड़ी साजिश का रूप है। राहुल गांधी अपनी यात्रा में बार-बार देश जोड़ने की बात करते हैं और उनके शासित प्रदेश छत्तीसगढ़ में आदिवासी बंधु अपने आप को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और न सरकार और न ही कांग्रेस का नेतृत्व गरीब मजबूर आदिवासी बंधुओं को बचाने के लिए कोई कदम उठा रहे हैं। आज मुझे लगता है राहुल गांधी को अपनी नौटंकी में से कुछ समय बचाकर छत्तीसगढ़ के मासूम आदिवासी बंधुओं के लिए भी समय निकालना चाहिए और अपनी सरकार एवं इसाई मिशनरियों के अत्याचारों से मासूम आदिवासी बंधुओं एवं आदिवासियों की संस्कृति , धर्म , रीति रिवाज को बचाना चाहिए।

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