भोपाल
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख डॉ मोहन भागवत ने कहा है कि भारत के विभाजन के समय सिंध अलग होने से भारत का शरीर विखंडित हो गया है। शरीर विखंडित हो जाए तो जोड़ना पड़ता है। इसलिए उसे जोड़कर अखंड भारत का स्वरूप पूरा करना है। जो विभाजन हुआ वह कृत्रिम है क्योंकि जिसने विभाजन किया उसने तीन माह में सब कुछ जाने बगैर विभाजन की रूपरेखा तय कर दी। वह जानता नहीं था और अब पाकिस्तान के लोग भी कह रहे कि ये गलती हो गई।
भारतीय सिंधु सभा के कार्यक्रम में पाकिस्तान और देश के अन्य प्रांतों से आए हजारों सिंधी नागरिकों को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि जो हठधर्मिता के कारण भारत की संस्कृति, भारत से अलग हो गए, क्या वे सुख में हैं, नहीं वे दुख में हैं। इसलिए गलती को सुधारने में क्या लज्जा है? आप तैयार रहिए, कैसे होगा, क्या होगा, यह मैं नहीं जानता पर जरूर होगा। राजधानी के भेल दशहरा मैदान में हुए कार्यक्रम में भागवत ने कहा कि वे यह नहीं कहते कि भारत आक्रमण करे, वे इसके समर्थन में नहीं हैं लेकिन वहां के लोगों को कोशिश करके फिर से भारत बसाना पड़ेगा।
सिंधु है इसका मतलब हम हिन्दू हैं
शहीद हेमू कालाणी के जन्मशती वर्ष पर आयोजित कार्यक्रम में भागवत ने कहा कि आप दोनों तरफ के भारत को जानते हो, इसलिए आपको प्रयास करना होगा कि आपकी संस्कृति, आपकी भाषा, आपका भोजन कायम रहे। उन्होंने कहा कि भारत केवल जमीन का नाम नहीं है, सिंध केवल जमीन का नाम नहीं है। सिंध की परम्परा, रीति रिवाज कायम रखना होगा। अपने घर में अपना घर, अपना भोजन चलता है। हमें अपनी खुदी को बनाए रखना है। लोगों के झगड़े के लिए उकसाने से भी वहां रहने वालों को बचना है। उनके चंगुल में फंसकर उनके लिए काम नहीं करना है। यहां और वहां के सिंधी समाज को साथ रहना है। सिंधु है, इसका मतलब हम हिन्दू हैं। भारत के साथ उस भूमि का जुड़ाव शुरू से है। हम भारत कहें तो सिंधु सभ्यता को भुला नहीं सकते। उस जमीन को शारीरिक त्रुटि से छोड़ दिया गया लेकिन 1947 के पहले सिंधु भारत था और आगे भी बनेगा। इसके लिए आरएसएस अपनी शक्ति के अनुसार सहायता के लिए सदैव तत्पर रहेगा।
स्व के लिए दिया शहीदों ने बलिदान
हेमू कालाणी की शहादत को स्मरण करते हुए भागवत ने कहा कि उन्होंने स्व तंत्रता यानी अपने तंत्र के लिए अपना बलिदान दिया है। भारत को स्व पर खड़ा होकर बड़ा बनना है। सिंधु और सिंध का इस देश में आदिकाल से स्थान रहा है। सिंधु, सिंधी और सिंध रहेगा, बढ़ेगा और चमकेगा। इसके लिए सिंधी संत समाज को छोटे प्रलोभन से लोगों को बचने का संदेश देना चाहिए। इस मौके पर पाकिस्तान-भारत के विभाजन वाली प्रदर्शनी का उद्घाटन भी भागवत ने सीएम शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में किया।
सिंधी समाज को एक प्रतिशत कीमत चुकाने पर मिलेगा स्थायी पट्टा-शिवराज
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश के अलग-अलग जिलों में 1614 वर्ग फीट से लेकर अन्य एरिया वाली जमीन पर काबिज सिंधी परिवारों को सरकारी गाइडलाइन का एक प्रतिशत मूल्य चुकाने के आधार पर जमीन का स्थायी पट्टा दिया जाएगा। उन्होंने प्रदेश में सिंधी समाज के महापुरुषों की याद में एक संग्रहालय बनाने का भी ऐलान किया। चौहान ने कहा कि जून में सिंधु दर्शन के लिए जाने वाले प्रति यात्री को राज्य सरकार की ओर से 25 हजार रुपए का अनुदान दिया जाएगा। भारतीय सिंधु सभा के ज्ञापन के आधार पर चौहान ने कहा कि सिंधी समाज के महापुरुषों दाहिर, शहीद हेमू कालाणी व अन्य के जीवन के बारे में एमपी में पाठ्यक्रमों में इतिहास पढ़ाया जाएगा। भोपाल के मनुआभान टेकरी में हेमू कालाणी की प्रतिमा लगेगी और जबलपुर व अन्य स्थानों पर भी इसके लिए विचार किया जाएगा। सिंधी साहित्य अकादमी के लिए वार्षिक बजट पांच करोड़ रुपए किए जाने का ऐलान भी सीएम चौहान ने कार्यक्रम में किया।