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महू में युवती की हत्या के बाद फायरिंग में युवक की मौत, मजिस्ट्रीयल जांच के आदेश

 भोपाल

इंदौर जिले के महू में बुधवार रात एक आदिवासी युवती की मौत के मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। उधर इस मामले में कांग्रेस ने एक जांच दल गठित किया है जो महू पहुंचा है। महू में हुए इस बवाल में दबंगों द्वारा गैंगरेप के बाद युवती की हत्या करने का आरोप है जिसके बाद गुस्साए लोगों ने पुलिस चौकी पर पथराव कर पुलिस की गाड़ियों में तोड़फोड़ की है। पुलिस कोे हालात पर काबू पाने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े और लाठीचार्ज करने के साथ हवाई फायर भी करना पड़ा है। यहां फायरिंग में गोली लगने से एक युवक की मौत हुई है, जिसका शव एमवाय अस्पताल पहुंचाया गया है। घटना में बडगोंदा थाना प्रभारी भरत सिंह ठाकुर समेत 6 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।

पुलिस के अनुसार घटना महू के बडगोंदा थाना क्षेत्र की है। युवती की मौत के बाद परिजनों ने बुधवार शाम को डोंगरगांव चौकी के सामने युवती का शव रखकर जाम लगा दिया। प्रदर्शन कारियों को पुलिस की टीम करीब एक किमी तक खदेड़ कर वापस चौकी पर आ गई थी। इसके बाद प्रदर्शन करने वालों ने पुलिस पर गोफन से हमला कर दिया। गोलीबारी में जिस युवक की मौत हुई है, उसकी पहचान 18 वर्षीय आदिवासी युवक भेरूलाल के रूप में हुई है। युवक छोटी जाम रहने वाला बताया जा रहा है। इसके साथ ही प्रदर्शन में एक अन्य युवक के पांव में भी गोली लगी है, जिसका नाम संजय है। ग्रामीण क्षेत्र में धारा 144 लगा दी गई है। इसके साथ ही पूरा क्षेत्र छावनी में तब्दील हो चुका है।

कांग्रेस ने घटनास्थल पर भेजा दल

दूसरी ओर कांग्रेस ने इस मामले की जांच के लिए आदिवासी विधायकों का दल घटनास्थल पर भेजा है। इसमें कांतिलाल भूरिया, बाला बच्चन, झूमा सोलंकी, पाचीलाल मेड़ा, इंदौर के प्रभारी महेंद्र जोशी और संतोष गौतम शामिल हैं। दल घटना की सच्चाई पता कर पीड़ितों से बात करेगा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को रिपोर्ट देगा जिसके बाद पार्टी आगे की रणनीति तय करेगी।

विधायक हीरालाल अलावा ने कहा है कि इस तरह के मामले आदिवासियों के साथ हो रहे हैं इससे आदिवासियों में काफ़ी ज़्यादा रोष है। आख़िर सरकार को फ़ायरिंग करने का हक़ किसने दिया, पुलिस वालों को आदेश कहाँ से मिले। सरकार के इस क़दम के ख़िलाफ़ सड़क पर उतरकर जयस आंदोलन करेगा। आदिवासियों पर अत्याचार बढ़ रहा है और कई थानों के अंदर आदिवासियों को बर्बरता के साथ मारा जा रहा है।घटना की अगर न्यायिक जाँच नहीं हुई तो हम सड़कों पर उतर आएँगे और आंदोलन करेंगे।

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