News Update :

महंगे दामों वाली शराब की बोतलों में बारकोड से की अफ़सरों ने गड़बड़ी, कमिश्नर आबकारी ने मांगी रिपोर्ट

भोपाल

विवादों से नाता रखने वाले आबकारी विभाग के अफसरों ने फिर नया कारनामा कर दिया है। शराब दुकानों से बेची जाने वाली महंगे दामों वाली शराब की बोतलों में बारकोड होलोग्राम (एक्साइज एडहेजिव लेवल) में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। इसके  खुलासे के बाद आबकारी आयुक्त ने जांच के निर्देश दिए हैं वहीं विभाग की प्रमुख सचिव ने इस मामले से खुद को अनजान बताया है। कमिश्नर ने गोदामों में रखी शराब के स्टाक वेरिफिकेशन करने के साथ उनके होलोग्राम स्कैन की रिपोर्ट मांगी है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि आबकारी विभाग के अफसरों और डिस्टलरी संचालकों की मिलीभगत से यह गड़बड़ हुई है। दरअसल मामला तब सामने आया जब जिस ब्रांड की शराब कस्टमर खरीदते हैं, उसके बारकोड को स्कैन करने पर दूसरे ब्रांड की सस्ती शराब की जानकारी मिली और इसकी मात्रा भी 90 एमएल ही पाई गई। अब इस बात की जांच की जा रही है कि अफसरों के इस कारनामे से सरकार को राजस्व क्षति कितनी हुई है और कितनी अवैध शराब खपाई गई है। 

प्रदेश में ई आबकारी के अंतर्गत ईएएल की व्यवस्था इसलिए लागू की गई थी ताकि अवैध शराब की बिक्री रुके और कस्टमर को शराब की जानकारी हो। इसके पीछे शासन की मंशा थी कि इससे सरकार के राजस्व को नुकसान होने से भी बचाया जा सकेगा लेकिन जिस तरह की गड़बड़ उजागर हुई है उसमें आर्थिक नुकसान की भी आशंका जताई जा रही है। सूत्र बताते हैं कि होलोग्राम एक पेटी में 100 होलोग्राम होते हैं जिसमें से 12 का उपयोग शराब की वास्तविक बोतल में किया गया जबकि शेष बचे 88 बारकोड होलोग्राम का क्या हुआ? यह सवाल खड़ा हुआ है और इससे अवैध शराब को वैध बनाने की भी आशंका जताई जाने लगी है। यह संदेह भी जताया जा रहा है कि प्रदेश की सभी डिस्टलरी में इन अनयूज्ड होलोग्राम के जरिये अवैध शाराब या शासन को नान पेड शराब पैक की गई। सूत्र बताते हैं कि प्रदेश मे 14 विदेशी शराब के शासकीय गोदाम हैं और सभी संदेह के दायरे में हैं। यह बात भी सामने आई है कि ऐसा करके कस्टमर के साथ सीधी धोखाधड़ी की गई है क्योंकि जब बारकोड गलत है तो बोतल में भरी शराब भी गलत होना तय है। 

आबकारी आयुक्त ने मांगी ईएएल स्कैन सेंपलिंग रिपोर्ट

आबकारी आयुक्त ओपी श्रीवास्तव ने सभी उपायुक्त आबकारी उड़नदस्ता से शराब की बोतलों पर चस्पा किए जा रहे एक्साइज एडहेजिव लेवल (ईएएल) को स्कैन किए जाने के संबंध में जानकारी देने के लिए कहा है। इसमें कहा गया है कि प्रदेश में स्थापित कुछ शराब इकाइयों द्वारा भेजी जा रही शराब की बोतलों में चस्पा किए जा रहे होलोग्राम पर अंकित बारकोड को स्कैन किए जाने पर गलत जानकारी सामने आ रही है। इसलिए अपने क्षेत्र की देसी, विदेशी शराब के स्टोर का निरीक्षण कर वहां स्टोर की गई विभिन्न ब्रांड की शराब बोतलों की सेंपलिंग करके स्कैन करें। यह देखें कि किन किन ब्रांड की शराब में इस तरह की गड़बड़ी सामने आ रही है और इसका प्रतिशत क्या है? अधिकारियों से कहा गया है कि अधीनस्थ कम्पोजिट शराब दुकानों में भी बोतलों की सेंपलिंग का स्कैन कर रिपोर्ट देना है। यहां ईएएल की संपूर्ण प्रक्रिया का अध्ययन कर उसकी जानकारी देने के लिए कहा गया है। इसमें सेंपल किए गए बाटल की वास्तविक इकाई, ब्रांड का नाम, स्कैन के बाद की स्थिति समेत पूरी डिटेल रिपोर्ट आबकारी मुख्यालय ने मांगी है। 

प्रभारी अधिकारी बताएंगे कितनी राजस्व हानि हुई

आबकारी आयुक्त श्रीवास्तव ने एक अन्य पत्र में सभी प्रभारी अधिकारी विदेशी शराब विनिर्माणी इकाई, देसी शराब विनिर्माणी इकाई और बीयर विनिर्माणी इकाई को तीन बिंदुओं पर जांच के लिए लिखा है कि शराब बोतलों पर चस्पा ईएएल की जांच के संबंधी में यूनिट्स में प्राप्त, स्टोर और चस्पा किए गए ईएएल का फिजिकल वेरीफिकेशन किया जाए। ईएएल को यूनिट में प्राप्त करने से चस्पा करने तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया की जांच करें। यदि ईएएल को चस्पा किए जाने की त्रुटि से राजस्व हानि हुई है तो इस संबंध में भी स्पष्ट टीप दी जाए। इनसे कहा गया है कि तीन बिन्दुओं की जांच संभागीय उपायुक्तों को तत्काल सौंपेंगे। 

ई आबकारी प्रभारी आलोक खरे की मानीटरिंग पर सवाल

इस पूरे मामले में ई आबकारी प्रभारी और रीवा जिले में पदस्थ आबकारी अधिकारी आलोक खरे की भूमिका और मानीटरिंग पर सवाल उठ रहे हैं। खरे पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि उनकी निगरानी के बाद शराब बोतलों में चस्पा होलोग्राम में ऐसी गड़बड़ी सामने आई। इस मामले में खरे से संपर्क करने पर बात नहीं हो सकी। आलोक खरे वही अधिकारी हैं जिनके विरुद्ध लोकायुक्त पुलिस ने एक साल पहले की गई छापे की कार्रवाई में करोड़ों की नकदी, फार्म हाउस और बेनामी प्रापर्टी के दस्तावेज जब्त किए थे। उनके विरुद्ध ईडी में भी शिकायत की गई है। 

इनका कहना.....

यह तो साफ है कि सावधानी नहीं रखी

ईएएल चस्पा किए जाने में गड़बड़ी की शिकायत सामने आई थी जिसकी जांच में कुछ गड़बड़ी सही पाई गई है। इसके बाद पूरे प्रदेश से इस संबंध में वेरीफिकेशन और जांच रिपोर्ट मांगी है। अभी कुछ नहीं कह सकते कि कितना नुकसान हुआ है, जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति साफ होगी पर यह तो साफ है कि सावधानी नहीं रखी गई है। 

-ओमप्रकाश श्रीवास्तव, आबकारी आयुक्त


share

0 comments

Leave a Reply

Copyright 2015 MP Breaking News All rights reserved