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छिंदवाड़ा में कांग्रेस के जर्जर किले की ढहने की शुरुआत : राकेश शर्मा

मध्यप्रदेश में नगर निकाय उपचुनाव के परिणाम आए जिसमें छिंदवाड़ा में एक स्थान पर पार्षद के चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई। यह परिणाम मात्र एक पार्षद के चुनाव का नहीं है। कहीं न कहीं पूरी कांग्रेस पार्टी छिंदवाड़ा मॉडल को लेकर प्रदेश में बात करती है और अगर छिंदवाड़ा में ही कांग्रेस की बुरी हार होती है तो यह यक्ष प्रश्न बन जाता है कि कांग्रेस के मजबूत गढ़ कहे जाने वाले छिंदवाड़ा में जहां कमलनाथ विधायक हैं और उनका पुत्र नकुल नाथ सांसद है। वहां पर अगर कांग्रेस की करारी हार होती है तो कमलनाथ के नेतृत्व और पुत्र नकुल नाथ के संसदीय क्षेत्र प्रश्नचिन्ह उठता है। साथ ही सब कुछ ठीक नहीं है, यह निकल कर सामने आ रहा है।
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव निकट हैं और अगर छिंदवाड़ा में कांग्रेस की हार होती है तो बाकी प्रदेश में कांग्रेस की क्या स्थिति होगी? यह समझना आसान होगा। मध्य प्रदेश के लाडले मुख्यमंत्री जन नायक विकास पुरुष शिवराज सिंह चौहान के द्वारा लाई गई लाडली बहना योजना का असर दिखाई देने लगा है और छिंदवाड़ा में कमलनाथ और कांग्रेस की पराजय हुई है। कांग्रेस का दावा कि छिंदवाड़ा कांग्रेस का मजबूत गढ़ है, अब वह दरक गया है और यह प्रतीत हो रहा है कि छिंदवाड़ा में कांग्रेस का जर्जर किला अब ढहने वाला है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के कुशल नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी नित नए इतिहास रच रही है और छिंदवाड़ा का परिणाम उसकी बानगी है। पिछले लोकसभा चुनाव में कमलनाथ ने पूरी ताकत लगाई थी और पूरा समय छिंदवाड़ा को दिया था, उसके बावजूद भी उनका पुत्र बहुत कम मार्जिन से चुनाव जीता था। खतरे की घंटी लोकसभा के समय ही बज गई थी जिसे कमलनाथ और कांग्रेस सुन नहीं रही थे। अब उस खतरे की घंटी के परिणाम आने शुरू हो गए हैं। चुनाव चाहे पार्षद का हो या विधानसभा या लोकसभा का, चुनाव चुनाव होता है और उसमें हार जीत का श्रेय नेता को मिलता है। छिंदवाड़ा की यह हार कमलनाथ के खाते में दर्ज होगी जो कहीं न कहीं कमलनाथ के नेतृत्व पर प्रश्नचिन्ह बन रही है।

(लेखक मध्यप्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं)
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