भोपाल
छतरपुर में डिप्टी कलेक्टर पद से इस्तीफा देकर सरकार पर उंगलियां उठाने वाली डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे को सामान्य प्रशासन विभाग ने एक नोटिस जारी किया है। इस्तीफे के बाद जारी नोटिस में निशा बांगरे द्वारा भोपाल में सरकारी आवास पर कब्जा रखने की बात कही गई है। ये नोटिस विभाग के अवर सचिव एमके बातव की ओर से जारी किया गया है।
नोटिस के अनुसार निशा छतरपुर से पहले भोपाल में डिप्टी कलेक्टर के पद पर थीं। यहां उनको चार इमली इलाके में शासकीय बंगला नंबर F-5/20 आवंटित किया गया था। इसको उन्होंने F-5/27 से बदलवा लिया था। नोटिस के अनुसार, भोपाल से रिलीव होने के बाद छतरपुर में डिप्टी कलेक्टर के पद पर ज्वाइन करने के बाद भी उन्होंने F-5/27 बंगले को अपने कब्जे में रखा है। यह अवैध आधिपत्य की श्रेणी में आता है।
संपदा संचालनालय द्वारा उनंको पहले भी इस बारे में लिखित में सूचित किया गया था। इसके बावजूद बंगला खाली नहीं किया गया। अब संपदा संचालनालय ने कहा है कि ऐसा करके उन्होंने मध्य प्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम-1965 के नियम-3 का उल्लंघन किया है। उधर मीडिया से चर्चा में निशा ने कहा कि जब भोपाल से छतरपुर ट्रांसफर हुआ तो उन्हें चार-पांच महीने तक छतरपुर में शासकीय आवास नहीं मिला था। ऐसे में क्या वे भोपाल में सड़क पर अपना सामान रखतीं। इस बारे में उन्होंने संबंधित कलेक्टर और जीएडी को भी बताया था।
बालाघाट में जन्मी निशा बांगरे की पोस्टिंग छतरपुर जिले के लवकुशनगर में थी। उनका घर आमला में है। मातृत्व अवकाश पर रहते आमला में इनके पति द्वारा किए जा रहे कार्यक्रम का प्रचार भी इन्होंने किया था। अभी निशा द्वारा कई विदेशी मेहमानों को अपने गृह प्रवेश के नाम पर बुलाया जा रहा है जिसकी अनुमति नहीं होने को लेकर भी पुलिस और प्रशासन के अफसर संदेह जता रहे हैं। निशा खुद ही कह चुकी हैं कि प्रशासन ने उनके यहां आने वाले बौद्ध समुदाय के विदेशी मेहमानों को अनुमति नहीं दी है। इस तरह के विवादों में उलझी निशा ने यह भी कहा है कि आने वाले समय में वे चुनाव लड़ने पर भी विचार कर सकती हैं। गौरतलब है कि बैतूल जिले में एक वैन भी तैयार कराई गई है जिसमें निशा बांगरे की फोटो के साथ उनकी विचारधारा के बारे में बातें कहीं गई हैं।
