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सतपुड़ा भवन में दफ्तर तो शुरू हो गए पर पानी है न बिजली, दूसरे भवनों में फाइलें ले जा रहे कर्मचारी

 भोपाल

राजधानी के सतपुड़ा भवन में दस दिन पहले लगी भीषण आग के साइड इफेक्ट अधिकारियों और कर्मचारियों को अभी भी झेलने पड़ रहे हैं। जिन दफ्तरों की फाइलें, कुर्सी टेबल और अन्य सामग्री जलकर खाक हो गए हैं वहां तो कुछ बचा ही नहीं है लेकिन भवन के जिस पोर्सन में आग नहीं लगी थी वहां के अधिकारी-कर्मचारी भी परेशान हैं। यहां न बिजली, न पानी और न अन्य सुविधाएं हैं। बदबू से परेशान अधिकारियों ने अब वैकल्पिक व्यवस्था कर दूसरे स्थानों पर दफ्तर संचालित करने की तैयारी शुरू कर दी है। 

12 जून को आग लगने के बाद 20 जून से सतपुड़ा भवन में कर्मचारियों को एंट्री तो मिल गई लेकिन यहां के हालात इतने बदतर हो गए हैं कि कर्मचारियों का भवन परिसर में रुकना मुश्किल हो रहा है। यहां लगने वाले दफ्तरों के कर्मचारियों के मुताबिक पूरे भवन में बिजली सप्लाई अभी भी बंद है। भले ही वह भवन नीचे का या दूसरी ओर का हिस्सा हो जहां आग नहीं लगी थी। इसके चलते यहां लोगों को पानी भी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में बिना बिजली पानी के उमस भरी गर्मी में कर्मचारी यहां बैठ ही नहीं पा रहे हैं। साथ ही आग लगने के बाद यहां बदबू के कारण भी कर्मचारियों का बुरा हाल है। इसे देखते हुए कई दफ्तरों के विभाग प्रमुखों ने राजधानी के दूसरे स्थानों पर वैकल्पिक तौर पर दफ्तर शिफ्ट करने की तैयारी शुरू कर दी है। जब बिल्डिंग में व्यवस्थाएं बहाल होंगी तो वे वापस काम पर पुराने कक्षों में लौटेेंगे। यहां लगने वाले सहकारी प्राधिकारी निर्वाचन का दफ्तर समन्वय भवन के चार कक्षों में वैकल्पिक तौर पर शुरू होने वाला है। पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के स्टाफ को भी शिफ्ट करने की तैयारी है। स्वास्थ्य विभाग ने तो अपना सब कुछ नष्ट होने के बाद डेटा स्टोरेज के लिए चार अलग-अलग भवनों में दफ्तर लगाने के लिए आदेश जारी कर दिए हैं। लोकल सेल्फ फंड का दफ्तर भी शिफ्ट किया जा रहा है। यही स्थिति भवन के दूसरे छोर पर लगने वाले दफ्तरों के मामले में भी है। यहां कर्मचारी अधिकारी गर्मी के कारण बैठ नहीं पा रहे हैं। 

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