कुछ रोज पहले छत्तीसगढ़ में दलित और आदिवासी युवाओं ने एक प्रदर्शन किया। अपने हक के लिए किए उस प्रदर्शन में वह युवा पूरी तरह से नग्न थे। दलित और आदिवासी युवाओं ने अपने कपड़े नहीं उतारे बल्कि झूठ, कपट, गारंटी जैसे शब्दों का उपयोग कर सत्ता में आई कॉन्ग्रेस को पूरे देश के सामने नंगा कर दिया। इससे ज्यादा दुखद क्या हो सकता है कि सब समाज में उस वर्ग के युवा जो हमेशा से वंचित और पीड़ित रहे, वह अपने हक के लिए अपने कपड़े उतार दें। इसके बाद भी पूरे देश में भ्रष्टाचार में गले तक डूबे हुए विपक्ष की पार्टियों के किसी भी नेता का इतनी बड़ी घटना पर एक भी बयान या ट्वीट नहीं आया।
अगर यही घटना किसी भाजपा शासित राज्य में होती तो तथाकथित बुद्धिजीवियों का एक विशेष वर्ग और विपक्ष पूरे देश को सर माथे पर उठा लेता और राजनीतिक पर्यटन पर निकलने वाले बहन भाई तुरंत वहां पहुंच जाते और मीडिया के सामने नौटंकी करते। प्रदेश की जनता आज यह पूछ रही है कि छत्तीसगढ़ में दलित और आदिवासियों पर लगातार जो अत्याचार हो रहे हैं उस पर कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व मौन क्यों है? कुछ प्रदेशों में चुनाव हो रहे हैं और चुनाव की दृष्टि से प्रियंका वाड्रा दौरे कर रही हैं ऐसा सुनने में आया है की कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी आदिवासी क्षेत्रों से कांग्रेस की चुनाव के प्रचार अभियान की शुरुआत करेंगे पर छत्तीसगढ़ में इतनी बड़ी घटना के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे प्रियंका वाड्रा यार राहुल गांधी का एक शब्द अपनी सरकार के बारे में और मासूम दलित और आदिवासी युवाओं के बारे में नहीं बोलना भी उन युवाओं पर अत्याचार है। यह दोहरा चरित्र देश की जनता देख रही है कि किस तरह लगातार राजस्थान, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ में बड़ी घटनाएं हो रही हैं पर इन घटनाओं पर कहीं भी कोई भी प्रतिक्रिया देने के लिए विपक्ष का कोई भी नेता तैयार नहीं है। कांग्रेस और विपक्ष शासित राज्यों में दलित और आदिवासियों को उनके अधिकार और उन पर हो रहे अत्याचारों के लिए किसे जवाबदार ठहराया जाए और वहां की सरकारें गूंगी, बहरी और अंधी होकर क्यों बैठी हुई हैं? दलित और आदिवासियों को हसीन सपने दिखाकर सत्ता में तो कॉन्ग्रेस आ गई पर उनका हक उन्हें देने में कांग्रेस सरकार असफल साबित हो रही है। यह देख कर हमारे रोंगटे खड़े हो गए कि सभ्य समाज में कोई अपने पूरे कपड़े उतार कर सड़क पर प्रदर्शन कर रहा है। सोचनीय विषय यह है कि वह युवा कितना पीड़ित है संवेदनहीन व्यवस्था से कि उसने अपनी लाज, शर्म को छोड़कर अपने कपड़े उतारने के लिए मजबूर होना पड़ा। यह घोर अनर्थ छत्तीसगढ़ में दलित और आदिवासी युवाओं के साथ हो रहा है। यह सब समाज पर एक कलंक की तरह है पर छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बेशर्म की तरह युवा सम्मेलन कर रहे हैं जिनके प्रदेश में दलित और आदिवासी युवा बिना कपड़े के प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। क्या उनको कुर्सी पर रहने का अधिकार है? यह एक विचारणीय प्रश्न मौजूद है जिसका जवाब छत्तीसगढ़ का दलित और आदिवासी युवा मांग रहा है।
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