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प्रदेश के हर गांव में गुड्डा-गुड्डी बोर्ड बनेगा

                                                 स्त्री-पुरुष अनुपात बैलेंस रखने में सहायक होगा यह बोर्ड

बृजेन्द्र मिश्रा, भोपाल
प्रदेश के हर गांव में गुड्डा - गुड्डी बोर्ड बनाया जाएगा। यह बोर्ड उस गांव में पैदा होने वाले लड़के-लड़कियों की जानकारी रखेगा। इससे गांव के लोगों और सरकार को इस बात की जानकारी रहेगी कि किस गांव में कितने बच्चे कब पैदा हुए हैं। केन्द्र और राज्य सरकार इसके आधार पर स्त्री पुरुष अनुपात की रिपोर्ट तैयार करा सकेंगे।
गांवों और शहरी इलाकों में स्त्री पुरुष अनुपात की जानकारी सामान्य तौर पर दस साल में होने वाली जनगणना के माध्यम से सामने आती है। इस बीच केन्द्र सरकार ने बेटी बचाओ अभियान को गति देने के लिए एक नई कार्ययोजना तैयार की है। इसके मुताबिक देश-प्रदेश के हर गांव में महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से एक बोर्ड गठित किया जाएगा। इसका नाम गुड्डा-गुड्डी बोर्ड होगा। यह बोर्ड आंगनबाड़ी या अन्य स्त्रोतों की मदद से संचालित किया जा सकता है। बोर्ड के गठन की जो प्रारंभिक स्थिति सामने आई है, उसके मुताबिक इससे यह पता चलेगा कि किस गांव में कितने लड़के-लड़की पैदा हुए हैं। अगर लड़का या लड़की के पैदा होने के अनुपात में भारी गिरावट आएगी तो सरकार ऐसे इलाकों के लिए योजना और जनजागरण का काम कर सकेगी। गांव के बाद यह रिपोर्ट जनपद, जिला और संभाग स्तर पर एकजाई होने के बाद राज्यस्तर पर एकत्र होगी। इसके आधार पर केन्द्र व राज्य दोनों ही सरकारें योजनाएं तैयार कर सकेंगे।


केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी ने दिए हैं निर्देश
केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी ने 27 अगस्त को भोपाल प्रवास के दौरान महिला सशक्तिकरण और महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों की बैठक ली थी। बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री माया सिंह भी मौजूद रहीं। इसी दौरान योजनाओं की समीक्षा करते हुए मंत्री मेनका गांधी ने राज्य में इस तरह का बोर्ड गठित करने के निर्देश दिए। उन्होंने अफसरों से कहा कि इस व्यवस्था को वे जल्द ही पूरे देश में लागू करेंगी।

विलेज मैपिंग देश भर में लागू करेंगे

भोपाल से जाने के पहले केन्द्रीय मंत्री मेनका ने एमपी की विलेज मैपिंग स्कीम और कुछ जिलों में चल रही जुगनू को भी सराहा। इसे भी देश भर में लागू करने के लिए कहा गया। प्रदेश में इस व्यवस्था के तहत आंगनबाड़ी वर्कर अपने क्षेत्र में ऐसे स्थानों का चयन करती है जहां के बच्चों को पोषण व्यवस्था की अधिक जरूरत है। इसकी जानकारी विभाग को दिए जाने के बाद इसके लिए कार्ययोजना बनाकर काम किया जाता है। जुगनू चलित आंगनबाड़ी है जो ऐसे इलाकों में पहुंचती है जहां आंगनबाड़ी केन्द्र नहीं हैं।
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