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55 हजार रुपए में बिक रही एक ट्रक रेत

                    रेत की ब्लैकमार्केटिंग रोकने सरकार के पास नहीं कोई इंतजाम

 भोपाल.रेत के खनन पर रोक लगाने के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले ने आम आदमी की परेशानी बढ़ा दी है। लोगों को अपना घर और दुकान बनाने के लिए 55 हजार रुपए में एक ट्रक रेत खरीदनी पड़ रही है। पहले यही रेत 14 से 17 हजार रुपए तक में मिल जाया करती थी। इधर राज्य सरकार ने रेत की कालाबाजारी में लुट रहे लोगों को बचाने के लिए कोई कार्ययोजना नहीं बनाई है।

प्रदेश में रेत के खनन पर 31 अक्टूबर तक रोक लगी है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में इसकी अगली सुनवाई 21 सितम्बर को होनी है। ट्रिब्यूनल ने नदी के पानी से रेत निकालने के साथ सूखे क्षेत्रों से भी रेत निकालने पर रोक लगा दी है। ऐसे में रेत का ठेका लेने वाले ठेकेदारों का काम ठप है और चोरी की रेत निकालने और बेचने का कारोबार तेजी से चल रहा है। इसका सबसे ज्यादा असर आम आदमी पर पड़ रहा है जो अपनी जमा पूंजी से मकान, दुकान बनाने का काम करता है। हालात से मजबूर लोगों को 50 से 55 हजार रुपए तक की कीमत में एक ट्रक रेत खरीदनी पड़ रही है। खनिज अधिकारी रेत के अवैध कारोबार पर रोक लगाने में भी नाकाम हैं।

430 के बजाय 700 क्यूबिक फीट रेत
रेत की चोरी कर कालाबाजारी करने वाले लोगों द्वारा इन दिनों एक ट्रक में 600 से 700 क्यूबिक फीट तक रेत लाई जाती है और उसे औने पौने दाम पर बेचा जा रहा है। नियमानुसार एक ट्रक में 430 क्यूबिक फीट से ज्यादा रेत नहीं लाई जा सकती। इसकी रायल्टी भी चुकानी पड़ती है।

नर्मदा, तवा की रेत हो रही चोरी
खनिज अफसरों की मानें तो 12 जुलाई से रेत खनन पर रोक लगने के बाद से जिन ठेकेदारों के पास भंडारित रेत थी वह खत्म हो चुकी है। अब जो भी रेत मार्केट में आ रही है वह अवैध रूप से निकालकर लाई जा रही है। चोरी की इस रेत की बिक्री में सबसे अधिक होशंगाबाद संभाग और मालवा क्षेत्र की नदियों से हो रहा खनन काम शामिल है। नर्मदा, तवा के किनारे रातों-रात रेत निकालकर बाजार में लाई जा रही है। सीधी जिले में सोन नदीं और सतना जिले में टोंस नदी की रेत पहुंच रही है। रीवा में इलाहाबाद से लाकर रेत बेची जा रही है। यही स्थिति प्रदेश के अन्य सीमावर्ती प्रांतों से जुड़े जिलों की भी है।

निर्माण कार्य रुके, मजदूर हुए बेरोजगार
रेत खनन पर प्रतिबंध का सबसे अधिक असर उन मजदूरों पर पड़ा है जो नदियों से रेत निकालते थे। ये मजदूर अब बेरोजगार हैं और उनके घरों में फांके की स्थिति है। इसके अलावा भवन निर्माण का काम करने वाले मजदूर भी बेरोजगार हो गए हैं। रेत नहीं मिलने से निर्माण कार्य बंद हो गए हैं और करोड़ों के प्रोजेक्ट्स की लागत बढ़ना तय हो गया है। इनके साथ ही ट्रक के पाटर््स बेचने और सुधार करने वाले मेकेनिक के पास भी काम नहीं है। निर्माण कार्य बंद होने से गिट्टी और स्टोन क्रेशर का काम भी प्रभावित हुआ है। ईंट और गिट्टी की बिक्री पर भी असर पड़ा है। इसके चलते प्रदेश भर में चल रहे हजारों करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट थमने लगे हैं। वहीं जिन प्रोजेक्ट्स का काम ज्यादा जरूरी है, वहां ब्लैकमार्केटिंग के माध्यम से रेत लाकर निर्माण कार्य किया जा रहा है।

इनका कहना--
पहले एक ट्रक रेत 32 रुपए क्यूबिक फीट के हिसाब से 13764 रुपए में बिकती थी। इन दिनों 60 रुपए या अधिक क्यूबिक फीट की दर से बिक रही है। मार्केट में सिर्फ चोरी की रेत बिक रही है और कई बार तो ठेकेदार 36 हजार रुपए ट्रक रेत बेच रहे हैं।  12 जुलाई से मेरे ट्रक खड़े हैं। मैं और मेरे मजदूर बेरोजगार हो गए हैं।
-प्रेमकिशोर बंजारे, रेत ठेकेदार, भोपाल
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रेत नहीं मिलने से सभी तरह के निर्माण कार्य बंद हो गए हैं। जो रेत 30 से 35 हजार रुपए ट्रक मिल जाती थी अब वह 40 से 50 हजार रुपए ट्रक बिक रही है। विन्ध्य क्षेत्र में सोन नदी, केन बेतवा, नर्मदा, गंगा नदियों की रेत पहुंचती है जो इस समय लोगों की खरीद से बाहर हो गई है। रेत अभी भी चोरी छिपे आ रही है और वह खनिज व पुलिस अफसरों की मिलीभगत से मंहगे दामों पर बिक रही है।
-लिटिल सिंह, बिल्डिंग कांट्रेक्टर

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एनजीटी के आदेश के बाद रेत खनन पर पूरे प्रदेश में रोक है। अवैध खनन पर जिलों में कलेक्टर कार्रवाई कर रहे हैं। सप्लाई की कमी का असर मार्केट में है और निर्माण कार्यों पर भी असर हो रहा है। ब्लैकमार्केटिंग रोकने सरकार ने निर्देश जारी नहीं किए हैं। सरकार न्यायालय के आदेश का पालन करने प्रतिबद्ध है।
-शिवशेखर शुक्ला, सचिव, खनिज साधन विभाग
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