ग्रामीण अंचलों में बुनियादी सुविधाओं का होगा विकास | |
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भोपाल.ग्रामीण
अंचलों में बुनियादी सुविधाओं के विकास और स्मार्ट ग्राम - स्मार्ट पंचायत
की अवधारणा को साकार करने के लिये प्रदेश की ग्राम पंचायतों को 14 वें
वित्त आयोग द्वारा 731 करोड़
की राशि आवंटित की गई है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल
भार्गव ने बताया कि इस राशि से ग्राम पंचायत अपने क्षेत्र में मूलभूत
सुविधाओं का विकास बेहतर तरीके से कर सकेगी।
अपर
मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास अरूणा शर्मा ने बताया कि 14
वें वित्त आयोग से होने वाली राशि का वितरण वर्ष 2011 की जनसंख्या को आधार
मान कर किया गया है। इसमें 90 प्रतिशत राशि जनसंख्या आधार पर और 10 प्रतिशत
राशि क्षेत्रफल अनुसार आवंटित की गई है। इस राशि का उपयोग योजनाबद्ध रूप
से किया जायेगा। इस मकसद से ग्राम पंचायत अपनी-अपनी विकास योजना तैयार
करेगी। योजना को स्मार्ट ग्राम स्मार्ट - पंचायत योजना के नाम से जाना जायेगा।
विकास योजना बनाने प्रशिक्षण
ग्राम
पंचायत स्तर की इस विकास योजना को तैयार करने की प्रक्रिया पूरी तरह
स्थानीय परिवेश के अनुसार परस्पर सहभागिता पर आधारित होगी। ग्राम पंचायत के
समग्र विकास की इस योजना में सभी घटकों में लिये जाने वाले कार्यों की
प्राथमिकता भी तय की जायेगी। ग्राम पंचायत को अपनी विकास योजना बनाने के
संबध में विस्तृत प्रशिक्षण दिया जावेगा। ग्राम पंचायतें स्थानीय तकनीकी
अधिकरियों से तकनीकी सहायता प्राप्त कर सकेंगी। साथ ही ग्राम पंचायत
स्थानीय स्तर पर कुशल व्यक्तियों का तकनीकी मार्गदर्शन लेने में सक्षम
होगी। ग्राम पंचायत स्तर पर सरपंच तथा सचिव विकास योजना तैयार करने के लिये
उत्तरदायी होगें। क्लस्टर प्रभारी (सहायक विकास विस्तार अधिकारी/पंचायत
समन्वय अधिकारी) अपने क्लस्टर की सभी ग्राम पंचायतों के लिये चार्ज अधिकारी
होंगे। इस प्रकार जनपद पंचायत क्षेत्र के लिये मुख्य कार्यपालन अधिकारी
जनपद पंचायत के चार्ज अधिकारी, खंड पंचायत अधिकारी, सहायक
चार्ज अधिकारी तथा जिला पंचायत स्तर पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला
पंचायत संपूर्ण जिले के चार्ज अधिकारी होंगे। जनपद एवं जिला पंचायत की
स्थायी समितियाँ भी नियोजन प्रक्रिया का अनुश्रवण कर सकेंगी।
पोर्टल पर
पंचायत के आय-व्यय की जानकारी
ग्राम
पंचायत को 14 वें वित्त आयोग से प्रतिवर्ष मिलने वाली राशि पूरी तरह
स्पष्ट होगी। इस बारे में ग्राम पंचायत को समय रहते जानकारी दी जायेगी।
राशि का लेखा-जोखा सभी जरूरी वित्तीय अभिलेखों तथा पंचायत दर्पण पोर्टल पर
अनिवार्य रूप से रखा जायेगा। परफारर्मेंस मद के वितरण में पंचायत पोर्टल पर
पंचायत के आय-व्यय की जानकारी की उपलब्धता को भी आधार माना जायेगा।
वार्षिक लेखा के रख-रखाव की जवाबदेही से कोई समझौता नहीं किया जायेगा। सेवा
स्तर पर आंकड़ों के प्रकाशन, लेखांकन और लेखा परीक्षण से पारदर्शिता और
सुनिश्चित होगी। आयोग द्वारा यह सिफारिश भी की गई है कि यदि निधियों के
अनुप्रयोग में किसी प्रकार की गड़बड़ी पाई जाती है तो कड़ी कार्यवाही
सुनिश्चित की जानी चाहिये। इसी प्रकार आय-व्यय का उचित लेखा-जोखा
तथा प्राप्त राशियों का विधि संगत उपयोग जरूरी होगा। ग्राम पंचायतों के
द्वारा इस संबध में लापरवाही बरतने पर संबंधित सरपंच एवं सचिव सहित
उत्तरदायी व्यक्तियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी।
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