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पर्यटन, ग्रामीण परिवहन क्षेत्र में सहकारिता की जरूरत

मंत्री गोपाल भार्गव द्वारा सहकारिता में नवाचार पर कार्यशाला की शुरूआत 

 भोपाल.
 भोपाल.
भोपाल.सहकारिता मंत्री गोपाल भार्गव ने लोगों के आर्थिक विकास और प्रदेश की समृद्धि के लिये सहकारिता के नये
क्षेत्र तलाशने की जरूरत बताई है। भार्गव आज यहाँ अपेक्स बैंक समन्वय भवन में 'सहकारिता में नवाचार' विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ कर रहे थे। भार्गव ने सहकारिता के क्षेत्र की विभिन्न चुनौती और समस्याओं से निपटने के लिये जरूरत के अनुसार नियम में बदलाव लाने पर भी जोर दिया। सहकारिता विभाग द्वारा यह कार्यशाला सहकारी प्रबंध संस्थान और सहकारी विचार मंच के सहयोग से आयोजित की गई है।

  प्रबंधन को बेहतर बनाने की जरूरत
प्रमुख सचिव सहकारिता अजीत केसरी ने कार्यशाला में सहकारी संस्थाओं के प्रबंधन को बेहतर बनाने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि सहकारी संस्थाएँ अपनी कार्य पद्धति में सकारात्मक बदलाव लाये और सदस्यों के हितों के प्रति जवाबदेह बने। केसरी ने कहा कि इस उद्देश्य से सहकारिता के बुनियादी सिद्धांतों पर कायम रहते हुए नागरिकों के हित में नियमों में बदलाव और संशोधन किये जाये। केसरी ने कहा कि गल्तियों से सीख लेकर ही भविष्य में सफलता की राह पर बढ़ा जा सकता है।

 सहकारिता विकास से नई संभावनाएँ
प्रारंभ में सहकारिता आयुक्त मनीष श्रीवास्तव ने कहा कि सहकारिता के विकास के मकसद से नई संभावनाएँ तलाशना आज के समय की जरूरत है। सहकारिता के नये क्षेत्रों में प्रवेश के साथ ही समितियों के गठन और उनके स्थायित्व की दिशा में प्रयास किये जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला के जरिये खासतौर से पर्यटन, ग्रामीण परिवहन, कौशल उन्नयन, नवकरणीय ऊर्जा, गोदाम निर्माण और आवास तथा सेवा क्षेत्र में सहकारिता को बढ़ावा देने के लिये विमर्श होगा। इन क्षेत्रों में संभावना तलाशने के लिये कार्यशाला में समूह चर्चा होगी। 

 बुजुर्गों के हित में व्यावहारिक नी‍तियाँ बने
मध्यप्रदेश दुग्ध महासंघ के प्रबंध संचालक शोभित जैन ने न्यूजीलैण्ड में सहकारी संस्था 'कोन्टेरा' के जरिये दुग्ध उत्पादों के निर्यात में मिली सफलता को बताया। सहकारी विचार मंच के अध्यक्ष तथा पूर्व सचिव सहकारिता व्ही.जी.धर्माधिकारी ने प्रदेश में सहकारी संस्थाओं के करीब 65 लाख सदस्यों को साख सुविधा मुहैया करवाने के अलावा उनकी विभिन्न जरूरतों को समय पर पूरा करने की जरूरत बताई। उन्होंने बुजुर्गों के हित में व्यावहारिक नी‍तियाँ बनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि सहकारिता आर्थिक विकास के साथ सामाजिक विकास का माध्यम भी बने।
सहकारी प्रबंध संस्थान के निदेशक डॉ. ए.के. अस्थाना ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि संस्थान द्वारा सहकारिता के नये क्षेत्रों में प्रवेश विषय पर पिछले एक वर्ष से विमर्श गतिविधियाँ संचालित की गई हैं।



 
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