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किसान की उपज की कीमत और डिमांड बताएगा मोबाइल एप, सरकार तैयार करा रही कंसल्टेंसी व्यवस्था

  भोपाल
कभी जलवायु परिवर्तन तो कभी फसल के दामों में अचानक आई गिरावट से होने वाले किसानों के नुकसान से राहत देने के लिए राज्य सरकार इनफार्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नालाजी के जरिये कृषि व्यवस्था में सुधार की कवायद में जुटी है। इसके लिए किसान कल्याण और कृषि विभाग द्वारा एक मोबाइल एप तैयार कराया जा रहा है जिसमें शासन द्वारा तय की गई कंसल्टेंसी एजेंसी किसानों से संबंधित हर वह जानकारी उपलब्ध कराएगी जो खेती का नुकसान कम करे और किसान को सही दाम दिलाने में मदद करे। इसके लिए विभाग ने प्रपोजल बुलाकर इसके लिए काम तेज कर दिया है।


किसान कल्याण और कृषि विभाग ने तय किया है कि प्रदेश में फोकस क्षेत्रों में इनफार्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नालाजी (आईसीटी) के जरिये किसानों की खेती के हर पहलुओं का अध्ययन किया जाए ताकि किसानों को नुकसान से बचाने में अधिकतम मदद मिल सके। इसके लिए जिलों में 20 हेक्टेयर वाली साइट्स का चयन किया जाएगा ताकि ये सभी जानकारियां हासिल की जा सकें। शुरुआत में यह व्यवस्था पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू की जाएगी। दरअसल सरकार चाहती है कि कृषि से संबंधित योजनाओं का लाभ लेने के लिए किसानों को एक आनलाइन एप्लीकेशन फार्मेट मिले। मोबाइल बेस्ट इंटीग्रेटेड सर्विस में किसानों की सुविधा के मद्देनजर उनकी समस्याएं, शिकायतें और समाधान के साथ सरकार चाहती है कि कि एक ऐसा मानीटरिंग सिस्टम डेवलप हो जिसमें क्वालिटी कंट्रोल, सीड प्रोडक्शन, ट्रेकिंग और डिमांस्ट्रेशन ले डाउन योजनाओं के आधार पर तय किए जा सकें। किसानों को बीज, खाद, प्लांट प्रोटेक्शन केमिकल, एग्रीकल्चर इक्विपमेंट, सॉयल टेस्टिंग और फर्टिलाइजर यूज रिकमंडेशन एक ही स्थान पर मिल सके। मोबाइल एप पर एक साथ सारी सुविधा मिलने पर किसान अपनी व्यवस्था के आधार पर निर्णय ले सकेंगे। इसमें खेतों में बोई गई फसल के पौधों में रोग और महामारी और उसके बचाव के बारे में भी जानकारी रहेगी। 


फसल प्राइस और डिमांड भी बताएंगे

 
एप द्वारा यह भी बताया जाएगा कि पानी की कमी वाले क्षेत्र में भूजल की उपलब्धता की स्थिति कैसी है? किसानों के लिए यह सूचना देने का काम भी इसमें होगा कि उगाई जाने वाली फसल और मौसम के लिए संभावित लाभदायक फसल कौन सी होगी? सोयाबीन, कॉटन और गेहूं की फसल की प्राइस और डिमांड की स्थिति की जानकारी देने का काम भी इसमें होगा। किसानों द्वारा खरीदे जा रहे बीज की गुणवत्ता सुनिश्चित करने, भौगोलिक स्थिति के अनुसार विशिष्ट फसलों/जैविक उत्पादों के लिए किसान के खेत में अनाज का पता लगाने की क्षमता को भी पता किया जा सकेगा। प्रौद्योगिकी के इस प्रयोग से राज्य को भी लाभ होगा। यह एप और कंसल्टेंसी सिस्टम यह भी बताएगा कि विभिन्न फसलों के लिए उर्वरक, सही कीट नियंत्रण का उपयोग तंत्र और सामग्री क्या होगी ताकि फसल रोग प्रबंधन, नमी के स्तर को भांपकर सिंचाई प्रबंधन, मौसम पूवार्नुमान आदि को अपनाकर किसान नियोजित फसलों की सर्वोत्तम उपज ला सकें। मौसम पूवार्नुमान आदि ताकि किसान नियोजित फसलों की सर्वोत्तम उपज ला सकें। भूजल मॉडल और पूवार्नुमान के रुझान के  आधार पर भूजल प्रबंधन और संरक्षण कार्यक्रम चल सकेंगे।

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