भोपाल
प्रदेश में दैनिक वेतन भोगी और कार्यभारित व आकस्मिता सेवा में काम करने रहे श्रमिकों और स्थायी कर्मचारियों की मृत्यु के बाद उनके ग्रेच्युटी भुगतान के मामले में मुख्य अभियंता अड़ंगा लगा रहे हैं। चीफ इंजीनियरों की इस कारस्तानी पर जल संसाधन विभाग ने उन्हें तीन साल पहले वित्त विभाग द्वारा जारी किए गए आदेश को याद दिलाते हुए कहा है कि इस तरह के कोई भी मामले शासन को न भेजे जाएं। अगर मुख्य अभियंताओं की लापरवाही से कोई केस न्यायालय में गया और उसके बाद ब्याज के साथ सरकार को राशि के भुगतान की स्थिति बनी तो ब्याज की राशि संबंधित मुख्य अभियंता से वसूली जाएगी।
प्रमुख अभियंता जल संसाधन द्वारा इसको लेकर मुख्य अभियंताओं से कहा गया है कि ग्रेच्युटी के प्रकरण में न्यायालय द्वारा पारित निर्णय के विरुद्ध अपील करने के लिए विधि विभाग की अनुमति की आवश्यकता नहीं है। अपीलीय अधिकारी स्वयं अपील करने के लिए सक्षम हैं। इनसे कहा गया है कि ऐसे मामलों में अपील और भुगतान के लिए स्वीकृति लेने का कोई प्रकरण प्मुख अभियंता को न भेजा जाए। वित्त विभाग ने 27 अक्टूबर 2018 को जारी आदेश में ऐसे मामले में निर्णय के लिए विभागाध्यक्ष को अधिकृत किया है। कार्यभारित और स्थायी कर्मचारियों के प्रकरण में मुख्य अभियंता की विभागाध्यक्ष हैं। इसलिए वे निर्णय ले सकते हैं। प्रमुख अभियंता ने कहा है कि वित्त विभाग के निर्देशों का पालन नहीं करने के कारण ग्रेच्युटी के मामले में कर्मचारी को न्यायालय की शरण लेनी पड़ती है। ऐसे में ग्रेच्युटी के साथ ब्याज की राशि भी सरकार को देना पड़ती है। अब ऐसे मामलों में लापरवाही पर ब्याज की राशि अधिकारियों से वसूल की जाएगी।

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