भोपाल
पंचायत चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही चुनाव ड्यूटी से बचने के लिए कर्मचारियों ने मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर खुद को बीमार बताने की तैयारी शुरू कर दी है। कर्मचारियों के इस पैंतरे को काट रीवा कलेक्टर मनोज पुष्प ने निकाली है जो प्रशासनिक हल्के में चर्चा का विषय बनी है। कलेक्टर ने ड्यूटी लगने के पहले ही एक आदेश जारी कर दिया है कि अगर किसी कर्मचारी ने ऐसा किया तो उसे बीस साल की सेवा और पचास साल की उम्र के आधार पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति (कम्पल्सरी रिटायरमेंट) दे दी जाएगी। उधर चुनाव के मद्देनजर लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा अवकाश निरस्त किए जाने से प्रदेश भर के शिक्षकों में आक्रोश है। इनका कहना है कि सरकार उनके हक मार रही है।
रीवा कलेक्टर द्वारा 27 मई को जारी आदेश में कहा गया है कि पंचायत निर्वाचन में संलग्न अधिकारियों और कर्मचारियों के द्वारा अपनी अस्वस्थता के कारण निर्वाचन कार्य सम्पादन में असमर्थता बताई जा रही है। इनके द्वारा निर्वाचन ड्यूटी से बचाव के लिए जिला निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में मेडिकल बोर्ड/आवेदन प्रस्तुत किए जा रहे हैं। कलेक्टर के आदेश में कहा गया है कि ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध शासन के नियमों के आधार पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की कार्यवाही की जाएगी। कलेक्टर रीवा का यह आदेश सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है। उधर पंचायत चुनाव के लिए आचार संहिता लागू किए जाने के बाद छुट्टी निरस्त किए जाने से स्कूली शिक्षकों में नाराजगी है। शिक्षकों का कहना है कि सरकार जब तब गैर शिक्षकीय कार्य कराने के लिए टीचर्स की ड्यूटी लगाने का काम करती है और जब शिक्षकों के स्वत्व और वेतन संबंधी मामलों के निराकरण का मसला उठता है तो कोई कार्यवाही नहीं की जाती है।