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अब OBC आरक्षण के साथ होंगे MP के निकाय चुनाव, सुप्रीम कोर्ट का आदेश 50% से ज्यादा न हो रिजर्वेशन

भोपाल

सुप्रीम कोर्ट ने एमपी सरकार की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला किया है कि मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने 50 प्रतिशत तक ओबीसी आरक्षण के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने 15 दिन में चुनाव की अधिसूचना जारी करने के लिए निर्देश भी दिए। कोर्ट ने 2022 के परिसीमन को मंजूरी दे दी है।

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक सप्ताह में आरक्षण नोटिफाई किया जाए। अगले एक सप्ताह में चुनाव कराने का नोटिफिकेशन जारी किया जाए। एडवोकेट वरुण ठाकुर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि आरक्षण किसी भी स्थिति में 50 % ( OBC , SC / ST को मिलाकर ) से अधिक नहीं होगा। सरकार ने OBC वर्ग को आरक्षण देने के लिए 12 मई की देर रात सुप्रीम कोर्ट में संशोधन याचिका ( एप्लिकेशन फॉर मॉडिफिकेशन ) दाखिल की थी। इस पर 17 मई को भी सुनवाई हुई।                                                                  आगे क्या-

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और नगरीय प्रशासन विभाग 2022 के परिसीमन के आधार पर अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण तय करेंगे। यह आरक्षण किसी भी हालत में पचास प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। राज्य निर्वाचन आयोग आरक्षण की मौजूदा वैधानिक स्थिति के आधार पर चुनावों के लिए अधिसूचना जारी करेगा।                                                                           ओबीसी आरक्षण संबंधी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत

कल हुई सुनवाई में सरकार की ओर से राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की ओबीसी आरक्षण संबंधी विस्तृत रिपोर्ट को प्रस्तुत किया गया था। सरकार के वकीलों की ओर से लगभग दो घंटे तक ओबीसी आरक्षण के पक्ष में दलील दी गई। कोर्ट ने ओबीसी के लिए आरक्षण तय करने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया के बारे में और जानकारी मांगी। पिछड़ा वर्ग को नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में आरक्षण देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ट्रिपल टेस्ट कराया गया है।                                                                                         ओबीसी 48 प्रतिशत बताए गए

ओबीसी की आबादी, मतदाताओं की स्थिति, प्रतिनिधित्व आदि का विश्लेषण करके सरकार को प्रथम प्रतिवेदन भी सौंप दिया गया था। इसमें कुल मतदाताओं में ओबीसी 48 प्रतिशत बताए गए। इसके आधार पर सरकार से ओबीसी को नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में 35 प्रतिशत आरक्षण देने की अनुशंसा की गई। सुप्रीम कोर्ट में आयोग ने यही रिपोर्ट प्रस्तुत की थी लेकिन यह जिलेवार थी। इसे अधूरा ट्रिपल टेस्ट मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को दो सप्ताह में चुनाव की अधिसूचना जारी करने के आदेश दे दिए और कहा कि ट्रिपल टेस्ट पूरा हुए बिना ओबीसी आरक्षण नहीं दिया जा सकता है।

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