News Update :

पैसा सरकार का, मनमानी अफ़सरों की नहीं चलेगी, ब्याज कमाने वाले विभाग लौटायेंगे अनयूज्ड राशि

भोपाल

वित्त विभाग ने केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं से संबंधित राशि बैंकों में जमा कर उससे मिलने वाली ब्याज को अपना बताने के मामले में सख्ती बरतने का फैसला किया है। ऐसा करके शासन के फंड से ब्याज के रूप में कमाई करके उसे अपनी आमदनी बताने वाले अफसरों की कार्यशैली पर इसके जरिये रोक लगाई गई है। इसको लेकर सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव और राज्य शासन के सभी विभागों को पत्र लिखकर इसका पालन करने के लिए कहा गया है।

वित्त विभाग के अनुसार सार्वजनिक उपक्रमों, विकास प्राधिकरणों, अभिकरणों, सहकारी संघ मर्यादित, निगम-मंडल, बोर्ड, कल्याण मंडल, परिषद, फेडरेशन, काउंसिल और अकादमी में जमा राशि के मामले में ऐसा किया जाता है जिसे वित्त विभाग ने वित्तीय प्रबंधन पर प्रतिकूल असर होने वाला माना है। इसके साथ ही इस तरह की बैंकों से मिलने वाली ब्याज की राशि शासन के खातों में जमा कराने के निर्देश दिए हैं। 

वित्त विभाग द्वारा जारी निर्देश मेंं कहा गया है कि विभाग या उससे संबंधित संस्थान के बैंक खातों, एफडीआर या अन्य वित्तीय स्त्रोतों में केंद्र व राज्य सरकार से मिली राशि खर्च न होने पर और उस पर मिलने वाली ब्याज की राशि को अदावाकृत जमा राशि और ब्याज प्राप्तियां व नकद शेष के निवेश पर उगाहा गया ब्याज के लिए बनाए गए टेÑजरी कोड के जरिये शासन के खाते में जमा  कराना होगा। अगर विभाग को या संस्थानों को भविष्य में राशि की जरूरत होगी तो प्रशासकीय विभाग द्वारा उचित कारण बताते हुए आगामी बजट में इसका प्रावधान कराया जा सकता है। वित्त विभाग की संचालक बजट ने संबंधित अधिकारियों से कहा है कि भारत सरकार द्वारा केंद्र प्रवर्तित योजनाओं में एसएनए खाते की व्यवस्था वित्तीय वर्ष 2021-22 से लागू की गई है। इसलिए इस अवधि की राशि का व्यय भारत सरकार के दिशा निर्देश के आधार पर किया जाना है। इसके पहले जो राशि बैंक खातों में जमा है, उसे राज्य शासन द्वारा बताए गए बजट शीर्ष में जमा कराने के बाद नियमानुसार प्रस्ताव देकर राशि खर्च करना होगा। 

इसलिए किया बदलाव

विभागीय सूत्रों का कहना है कि राज्य शासन के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, संस्थानों को केंद्र और राज्य शासन की भिन्न योजनाओं के अंतर्गत राशि संचित निधि से उनके बैंक खातों में भेजी जाती है। कई योजनाओं में यह जानकारी सामने आई है कि योजना के धीमे क्रियान्वयन, कार्य शुरू नहीं होने और योजना के दिशा निर्देशों में संशोधन के कारण यह राशि बैंक खातों में खर्च हुए बिना पड़ी रहती है। ऐसे मामले में जमा राशि पर मिलने वाली ब्याज की राशि उपक्रमों, संस्थानों द्वारा अपनी स्वयं की आय के रूप में बताकर खर्च की जाती है। ऐसे में ब्याज की राशि पर शासन को नियमानुसार आयकर का भुगतान करना पड़ता है। इससे वित्तीय प्रबंधन पर प्रतिूकल असर होता है। इसे रोकने के लिए यह निर्देश जारी किए गए हैं। 


share

0 comments

Leave a Reply

Copyright 2015 MP Breaking News All rights reserved