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कम वोटिंग से BJP में जीत का मार्जिन कम होने की चिंता, कांग्रेस को फायदे की उम्मीद

 भोपाल

प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण में मतदाताओं के बाहर नहीं निकलने से बीजेपी की चिंता बढ़ी है और पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि इससे फाइट की स्थिति बनेगी लेकिन इसके बाद भी बीजेपी कैंडिडेट जीत हासिल करेंगे। कम वोटिंग से भाजपा को जीत के मार्जिन में अंतर आने की स्थिति दिखाई दे रही है वहीं दूसरी ओर महापौर पद के लिए जीरो से काउंट कर रही कांग्रेस को यह उम्मीद है कि उसे पहले चरण में भोपाल और इंदौर नगर निगम के साथ एक दो अन्य निगमों में तगड़ी फाइट देने के बाद फायदा हो सकता है। 

बुधवार को हुई वोटिंग के बाद भाजपा ने अपने प्रत्याशियों को एक-एक कर बुलाने और उनके वोटिंग काउंट की जानकारी लेने का काम शुरू कर दिया है। पार्टी ने चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों के वोट के आंकलन के बाद नगर निगम और नगरपालिका स्तर पर समग्र समीक्षा करने का निर्णय लिया है और इसको लेकर अगले दो तीन दिनों में प्रदेश संगठन के पदाधिकारी बैठक कर सकते हैं जिसमें नगर निगमों की जीत हार की स्थिति का आंकलन किया जाएगा। भोपाल और इंदौर में कांग्रेस ने महापौर पद के प्रत्याशियों के मामले में भाजपा को टक्कर देने की स्थिति निर्मित की है। इसलिए भाजपा के नेता इन दोनों ही निगमों के परिणाम को एकतरफा नही ंबता पा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस को उम्मीद है कि उनके कैंडिडेट जीत की स्थिति में आ सकते हैं। उधर भाजपा के साथ कांग्रेस भी खंडवा, बुरहानपुर, ग्वालियर, सिंगरौली, जबलपुर, छिंदवाड़ा, सतना, सागर के वोटिंग रुझान के आधार पर परिणाम के आंकलन की कोशिश में जुटी है। कांग्रेस इन नगर निगमों में भी खुद को मजबूत मानकर चल रही है।

मुस्लिम वोट कम पड़ने से राहत मान रही बीजेपी

भोपाल नगर निगम में पिछले चुनाव के मुकाबले चार प्रतिशत कम वोट पड़े हैं। इसलिए पार्टी नेताओं का मानना है कि इससे मेयर की सीट पर जीत का मार्जिन कम हो सकता है लेकिन पार्टी जीत हासिल कर लेगी। संगठन नेताओं के अनुसार यह भी राहत की बात है कि मुस्लिम वोटर भी कम निकले हैं और ऐसे में जो कयास लग रहे थे कि कांग्रेस को इससे ज्यादा फायदा होगा, वह मुस्लिम की कम वोटिंग से बीजेपी का डैमेज कंट्रोल करेगा। पार्षद के पदों को लेकर अभी संगठन नेता कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं। 

जिला अध्यक्ष और जिला प्रभारियों से लेंगे फीडबैक

भाजपा प्रदेश संगठन जिन शहरों में पहले चरण में वोटिंग हो चुकी है वहां के जिला अध्यक्षों और जिला प्रभारियों से फीडबैक लेगा। इसके आधार पर निकाय चुनाव में मिलने वाली सीटों की संख्या और नगर पालिका व नगर परिषदों में जीत हार का कैलकुलेशन तय होगा। सूत्रों का कहना है कि चूंकि तीसरे चरण का पंचायत चुनाव कल है और 11 जुलाई तक नगर निकाय के दूसरे चरण के लिए प्रचार होना है। इसलिए संगठन 12 जुलाई को चुनाव परिणामों की समीक्षा के लिए बैठक कर सकता है। 

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