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BJP में तैयार हो रही परफॉर्मेंस रिपोर्ट, इन जिला अध्यक्षों पर गिर सकती है गाज.....

 भोपाल

पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव के परफॉर्मेंस की कसौटी पर अब बीजेपी के जिलाध्यक्षों की परीक्षा चल रही है। सवा साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले संगठन में कसावट के लिये बीजेपी कई ऐसे जिलाध्यक्ष हटाने की तैयारी में है जो संगठन के मापदंड पर खरे उतरने में सफल नहीं हो पाए। ऐसे अध्यक्षों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट तैयार हो रही है। इसके दायरे में आने वाले जिला अध्यक्षों को हटाने के मामले में अगले माह से कार्यवाही शुरू होगी। 

संगठन ने तय किए ये क्राइटेरिया

जिला अध्यक्षों के खराब परफार्मेंस के मामले में सबसे बड़ी शिकायत पिछले दो साल में इसी बात को लेकर आई है कि जिला अध्यक्ष पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं के साथ समन्वय स्थापित करने में नाकाम रहे हैं। पार्टी के बड़े फैसलों में इन अध्यक्षों ने पूर्व विधायकों, पूर्व पदाधिकारियों की राय नहीं ली और मनमानी फैसले लिए। इसके कारण निकाय चुनाव में हार का सामना भी करना पड़ा। इसके अलावा जिन जिला अध्यक्षों ने नगर निकाय व पंचायत चुनाव में अपनों को चुनाव लड़ाया, जिन्होंने पार्टी में गुटबाजी की स्थिति पैदा की और उसे रोक नहीं पाए वे जिला अध्यक्ष भी हटाए जाएंगे। संगठन ने तय भी तय किया है कि जिन जिला अध्यक्षों का इम्पैक्ट पार्टी के फैसलों के मुताबिक नहीं आ रहा है उन्हें भी हटाया जाए और कई ऐसे भी जिला अध्यक्ष हैं जिनमें राजनीतिक अनुभव की कमी दिखी है और इसका असर कामकाज पर पड़ा है, वे भी हटाए जाएंगे। संगठन ने यह संकेत भी दिए हैं कि जिनका कार्यकाल पूरा होने वाला है पर काम अच्छा रहा है, उन्हें रिपीट किया जा सकता है। 

इन जिलों की सबसे अधिक शिकायतें

नगर निकाय और पंचायत चुनाव में कई जिला अध्यक्षों के परफार्मेंस पर सवाल उठाए गए हैं। खासतौर पर मालवा-निमाड़ और विन्ध्य क्षेत्र के जिले इसमें आगे हैं। डिंडोरी, मंडला, रीवा, सीधी, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर, नर्मदापुरम, कटनी, अनूपपुर, दमोह, अशोकनगर, बड़वानी, बालाघाट, राजगढ़ समेत करीब डेढ़ दर्जन जिलों के जिला अध्यक्षों के परफार्मेंस पर इन चुनावों ने असर डाला है। कई जिला अध्यक्षों के विरुद्ध पार्टी के कैंडिडेट का विरोध करने के भी आरोप लगे हैं और इसकी शिकायत प्रदेश संगठन तक पहुंची है। 

 रंजिश भुनाने वाले जिला अध्यक्षों पर भी नजर

संगठन की जानकारी में यह बात भी आई है कि कुछ जिला अध्यक्ष चुनावी रंजिश निकालने के लिए चुनाव के बहाने पार्टी के ईमानदार कार्यकर्ताओं को निशाने पर ले रहे हैं और उनके विरुद्ध कार्यवाही के प्रस्ताव भेज रहे हैं। इस मामले को भी संगठन ने गंभीरता से लिया है और ऐसे जिला अध्यक्षों की वर्किंग पर नजर रखी जा रही है। 

दो बाद का कार्यकाल पूरा कर चुके भी हटेंगे

भाजपा संगठन में यह व्यवस्था है कि कोई भी व्यक्ति एक ही पद पर दो कार्यकाल से अधिक समय तक नहीं रह सकता। इसलिए यह भी तय है कि कई जिलों के जिला अध्यक्ष जो लगातार दो बार से अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, संगठन उन्हें पद से मुक्त कर नई जिम्मेदारी सौंप सकता है।

नवम्बर में खत्म होने वाला है कार्यकाल

बीजेपी के सभी 57 संगठनात्मक जिलों में अधिकांश जिला अध्यक्षों का कार्यकाल नवम्बर 2022 में खत्म हो रहा है। नवम्बर 2019 में संगठनात्मक चुनाव के बाद 33 नए जिला अध्यक्षों की पहली सूची 5 दिसम्बर 2019 को जारी हुई थी। इसके बाद 24 जिला अध्यक्षों की सूची अलग-अलग जारी हुई। जिला अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है जो इसी साल खत्म हो रहा है। पार्टी में केंद्र और राज्य स्तर पर संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया एक साथ चलती है। ऐसे में 2022 का साल संगठनात्मक चुनाव का है। वैसे 2017 में जिला अध्यक्षों का कार्यकाल खत्म होने पर हटाने की बजाय 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कार्यकाल बढ़ा दिया गया था। 

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