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आज देश के लिए मरने की नहीं, जीने की जरूरत -शिवराज

भोपाल

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आज देश के लिए मरने की नहीं देश के लिए जीने की जरूरत है। इसलिए बच्चों से अपेक्षा है कि अच्छा पढ़ने और खेलने का संकल्प लेने के साथ ऐसा काम करने पर जोर दें जो समाज के लिए हो। सीएम चौहान ने टीटीनगर मॉडल स्कूल में बच्चों की क्लास लेते हुए कहा कि अंग्रेज व्यापारी बनकर हिन्दुस्तान आए थे लेकिन अपनों की फूट और कमजोरी का फायदा उठाकर रियासतों के शासक बनने लगे और धीरे-धीरे गुलाम बना लिया। उन्होंने देश के तबके राजाओं, शासकों की आपसी लड़ाई का फायदा उठाया। इसके बाद धीरे-धीरे जब इसका विरोध शुरू हुआ तो 1857 में क्रांति की चिंगारी भड़क उठी और रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे समेत अन्य क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ाए। सीएम चौहान चंद्रशेखर आजाद, महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस समेत अन्य नरम व गरम दल के क्रांतिकारियों का जिक्र करते हुए कहा कि इन क्रांतिकारियों ने आजादी के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की। 

अपनी कमाई से ही खरीदा ध्वज घर पर लगवाना

सीएम चौहान ने कहा कि मैंने अपने घर पर फहराने के लिए तिरंगा खरीदा है और आप भी खरीदकर लगाना। अपने माता पिता से कहना है कि अपनी कमाई से खरीदकर ही घर पर लगाना है। फ्री वाला तिरंगा नहीं चाहिए। उन्होंने बच्चों को ध्वज संहिता में किए गए बदलाव के बारे में भी छात्र-छात्राओं को बताया। सीएम चौहान ने बच्चों से सवाल जवाब के दौरान अपने छात्र जीवन और राजनीतिक शुरुआत की जानकारी भी दी। 

एक दिन के लिए टीचर बने सीएम घूमकर बताते रहे इतिहास

हर घर तिरंगा अभियान के अंतर्गत एक दिन के लिए टीचर बने सीएम शिवराज ने मॉडल स्कूल में बच्चों की क्लास लेते हुए घूम-घूमकर बच्चों को भारत का इतिहास बताया। उन्होंने मॉडल स्कूल में ही अपनी शिक्षा ग्रहण की है और बुधवार को उसी स्कूल में टीचर के रूप में बच्चों से मुखातिब हुए। सीएम चौहान ने तिरंगे के अलग-अलग रंगों और उसकी लम्बाई और चौड़ाई के बारे में भी बच्चों को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि तिरंगा यह संदेश देता है कि गति ही जीवन है, ठहराव ही मृत्यु है। तिरंगे के रचनाकार पिगली वैंकेया थे। 

तिरंगे का इतिहास बताया बच्चों को

सीएम चौहान ने इस क्लास में बच्चों को बताया कि कैसे तिरंगा हमारा राष्ट्रीय ध्वज बना। इसकी शुरुआत 1905 में हुई थी। इसके बाद यह माना जाता है कि पहला राष्ट्रीय ध्वज कोलकाता के ग्रीन पार्क में 1906 में फहराया गया। इसमें वंदे मातरम लिखा है। इसमें आठ कमल बने थे। 1921 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा कि देश का एक राष्ट्रीय ध्वज होना चाहिए और चरखे के साथ इसकी डिजाइन तय की गई। कराची के अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य की मांग के साथ इसे राष्ट्रीय ध्वज बताया गया। इसके बाद आजादी के 19 दिन पहले 27 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने इसे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया। 

राजधानी में निकलेगी तिरंगा यात्रा

सीएम शिवराज बुधवार को राजधानी के पॉलिटेक्निक चौराहे से शौर्य स्मारक तक निकाली जाने वाली तिरंगा यात्रा में शामिल होंगे। इस मौके पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, शिवराज कैबिनेट के  मंत्री, प्रमुख सचिव संस्कृति, जिला और पुलिस प्रशासन के अधिकारियों की मौजूदगी रहेगी। प्रशासन ने इसके चलते तिरंगा यात्रा के दौरान रूट डायवर्ट किया है। 

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