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कांग्रेस की गहलोत सरकार में त्राहि-त्राहि करती जनता : राकेश शर्मा

राजस्थान की कांग्रेस सरकार के मुखिया अशोक गहलोत के राज में जनता में त्राहि त्राहि मची है। जनता अब समझ चुकी है कि हमसे गलती हुई कि कांग्रेस को चुना। आज हर तरफ जनता के पीड़ित होने के समाचार सुनाई दे रहे हैं। अभी ताजा मामला एक स्कूल की मटकी से पानी पीने पर छात्र इंद्र कुमार मेघवाल जिसकी उम्र 8 वर्ष थी उसकी नृसंश हत्या कर देने का है। वह मासूम बच्चा जीवन के उन वर्षों में जी रहा था जब उसे यह नहीं पता था कि प्यास लगने पर किस मटके से पानी पीना है। हमें बताया गया कि बच्चे ईश्वर का रूप होते हैं, उस मासूम बच्चे को इतनी बेरहमी से मारा गया कि उसकी एक आंख बाहर आ गई थी। पिटाई और संक्रमण का असर उसके मस्तिष्क तक पहुंच गया था, जो मौत की वजह बना।
 आश्चर्य की बात है कि उस मासूम को राजस्थान की असंवेदनशील और निष्ठुर गहलोत सरकार में समुचित इलाज तक प्राप्त नहीं हुआ। उसे यह सब यातनाएं सिर्फ इसलिए सहनी पड़ी क्योंकि वह दलित था। यह राजस्थान की पहली घटना नहीं है, इससे पूर्व एक दलित युवक ने बड़ी मूछें क्या रख ली, उस पर उसे प्रताड़ित किया गया। बारात में अगर दूल्हा घोड़े पर सवार हुआ तो उसे प्रताड़ित किया गया। यह सब होने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बेशर्मी से बयान देते हैं कि ऐसी छोटी मोटी घटनाएं तो होती रहती हैं। आपको बता दें कि महिलाओं के अत्याचार के मामले में राजस्थान हिंदुस्तान में नंबर एक पर है। कुछ दिन पूर्व एक मूक-बधिर बच्ची के साथ गलत कार्य कर उसकी हत्या कर पुल से नीचे फेंक दिया गया। यह एकमात्र घटना नहीं है, महिलाओं के साथ अत्याचार की घटनाएं लगातार राजस्थान में  देखी और सुनाई दे रही हैं।  इस घटना के बाद राजस्थान के एक वरिष्ठ मंत्री का बयान आया था कि राजस्थान में मर्द रहते हैं, इसलिए बलात्कार में राजस्थान नंबर 1 पर है। यह सब उस कांग्रेस शासित प्रदेश में हो रहा है जिस कांग्रेस के केंद्र में मुखिया लंबे समय से एक महिला है। राजस्थान में अव्यवस्था और अराजकता का माहौल बढ़ता जा रहा है। कुछ दिन पूर्व एक मासूम का सर धड़ से अलग कर दिया गया था। दिनदहाड़े बाजार में कन्हैया कुमार का परिवार आज अपने मुखिया को खो बैठा है। एक गैर जिम्मेदार कांग्रेस सरकार के कारण रामनवमी के जुलूस पर जिस तरह से हमले हुए थे, आज तक उन अपराधियों पर सरकार द्वारा कोई भी कार्यवाही नहीं की गई। हिंदू मुस्लिम दंगे अब राजस्थान की पहचान बन गए हैं। मुस्लिम तुष्टीकरण और वोट की राजनीति के कारण राजस्थान आज बारूद के ढेर पर बैठा हुआ है। लगातार दंगे और कन्हैया का सर तन से जुदा इसके साक्षात उदाहरण है। कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा इन घटनाओं पर ध्यान ना देना कहीं न कहीं राजस्थान के लिए नासूर साबित हो रहा है। आज छुआछूत के शिकार मासूम दलित की हत्या से द्रवित होकर कांग्रेस के विधायक जो जिले के अध्यक्ष भी थे उन्होंने अपने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। यह कहीं न कहीं यह सिद्ध करता है कि निरंकुश गहलोत सरकार और कांग्रेस का नेतृत्व आंख बंद करके बैठा हुआ है, जिसका खामियाजा जनता भुगत रही है। चुनाव निकट आने पर अपनी साख बचाने के लिए कांग्रेस के विधायक कांग्रेस से किनारा कर रहे हैं। अब तो ऊपर वाले का ही सहारा राजस्थान की जनता को है क्योंकि हर घटना के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अपने बयान में नरेंद्र मोदी और अमित शाह से अपील करने के लिए कहते हैं कि वह राजस्थान में शांति के लिए अपील करें। क्या गहलोत को सोनिया और राहुल की नेतृत्व क्षमता पर विश्वास नहीं रहा। क्या जनता में उनका प्रभाव खत्म हो गया ? बहरहाल यह समझ में आ गया कि जिस तरह से रोम जल रहा था और नीरो बंसी बजा रहा था वैसे ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अपनी सरकार को बचाने के लिए लगे हुए हैं और पूरे राजस्थान की जनता त्राहि-त्राहि कर रही है।

(लेखक मध्यप्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं)
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