मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जननायक विकास पुरुष भगवान के वरदान शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के युवाओं की खुशहाली के किए आज एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। दरअसल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एकमात्र ऐसे राजनेता हैं जो व्यवहारिक रूप से अति संवेदनशील हैं। वे अपने भांजे-भांजियों को जरा भी परेशान नहीं देख सकते। यही वजह है कि जब मुख्यमंत्री के संज्ञान में यह बात आई कि कोरोना संकट काल में युवा सरकारी नौकरियों की तैयारी कर प्रतीक्षा करते रहे लेकिन आपदा के दौर में प्रतियोगी परीक्षाएं नहीं हो सकी और हजारों युवा ओव्हर एज होने की कगार पर पहुंच गए। संवेदनशील मुख्यमंत्री ने इस विषय को गंभीरता से लिया और पीएससी की परीक्षाओं में आयु सीमा में तीन साल का इजाफा किया है। यह बता दें कि प्रदेश के युवा लगातार इसकी मांग कर रहे थे। क्योंकि लंबे समय तक कोरोना के संकटकाल के कारण पीएससी की परीक्षाएं बाधित रही। कोरोना के इन परीक्षाओं से वंचित रहे छात्रों को राहत देते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ा निर्णय लिया है। सीएम द्वारा अपने भांजे भांजियों को आगामी समय में होने वाली पीएससी की परीक्षा की अधिकतम आयु सीमा में एक बार के लिए 3 वर्ष की छूट देने का फैसला किया गया है। छात्रों की न्याय पूर्ण मांग पर संवेदनशील मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने निर्णय कर युवाओं को बड़ी राहत पहुंचाने का काम किया है। मध्यप्रदेश में हजारों छात्रों को इसका लाभ प्राप्त होगा। ऐसे में अब उन हजारों युवाओं के चेहरे पर तो मुस्कान आई ही है साथ ही उनके परिवार जनों ने भी राहत महसूस की है। मध्य प्रदेश के लाडले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार जन हितेषी, जन कल्याणकारी निर्णय लेते हैं जिसकी सराहना लगातार पूरे देश में होती है। इस ऐतिहासिक निर्णय की भी चारों तरफ सराहना हो रही है। प्रदेश का हर व्यक्ति आज सीएम शिवराज सिंह चौहान के संवेदनशील और युवाओं के पक्ष में लिए निर्णय की तारीफ कर रहा है। आखिर आज के युवा ही तो कल देश का भविष्य गढ़ेंगे। मुझे लगता है हम सौभाग्यशाली हैं जो सीएम शिवराज सिंह चौहान जैसा मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश को प्राप्त हुआ है। मध्य प्रदेश की जनता यूं ही नहीं कहती कि प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान हैं, तो सब संभव है।
(लेखक मध्यप्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं)
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