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श्योपुर में मिला शव तहसीलदार नरेंद्र ठाकुर का नहीं, किसी और का, पुलिस की बढ़ी परेशानी

भोपाल

श्योपुर में मिले जिस शव को शाजापुर जिले में पदस्थ तहसीलदार नरेंद्र ठाकुर का मानकर उनका अंतिम संस्कार परिजनों ने कर दिया था, वह किसी और की डेडबॉडी थी। तहसीलदार ठाकुर का शव घटना के एक माह बाद 10 सितम्बर को मिला था जिसकी सूचना के बाद परिजनों ने उसकी पहचान कपड़ों और सोने की चैन से की और पुलिस द्वारा दफनाए गए शव को निकलवाकर उसका अंतिम संस्कार किया गया है। 

सीहोर में पदस्थ नायब तहसीलदार पूर्णिमा शर्मा ने बताया कि तहसीलदार ठाकुर के परिजनों ने एसडीएम को आवेदन कर दफनाए गए शव को निकालने के लिए 16 सितम्बर को आवेदन दिया था जिसके बाद पुलिस की मौजूदगी में शव निकलवाने की कार्यवाही की गई और परिजनों के सुपुर्द किया गया। इसके बाद उनका अंतिम संस्कार हुआ है। शर्मा के अनुसार तहसीलदार ठाकुर का शव सीवन नदी में ही सेवनिया गांव में मिला था जो घटना स्थल से सात किमी दूर है। पुलिस से मिली सूचना के बाद परिजनों ने उनके कपड़ों और गले में पड़ी सोने की चैन से पहचान की थी। बताया जाता है कि सोने की चैन में ऊं लिखा था जो ठाकुर पहनते थे। इसके आधार पर परिजनों ने उनकी दोबारा शिनाख्त की और बेटे ने उनके अंतिम संस्कार किया है।

साढ़े तीन सौ किमी दूर मिले शव की शिनाख्त पर सवाल

तहसीलदार ठाकुर का शव 10 सितम्बर को मिलने के बाद अब यह सवाल उठा है कि घटनास्थल से करीब साढ़े तीन सौ किमी दूर श्योपुर जिले के बड़ौदा थाना क्षेत्र में पार्वती नदी किनारे मिले जिस शव को ठाकुर का मानकर उनके परिजनों ने अंतिम संस्कार किया था, वह किसका है? श्योपुर पुलिस के लिए भी अब यह केस गुत्थी बन गया है क्योंकि पुलिस ने इस मामले में जांच बंद कर दी थी। गौरतलब है कि 15 अगस्त की रात सीहोर में सीवन नदी उफान पर थी और तहसीलदार नरेंद्र ठाकुर एक पटवारी महेंद्र रजक के साथ अपने फार्म हाउस से नदी के उफान पर होने के बाद भी निकले थे जिसके कारण बहाव में आई 20 कार समेत दोनों ही बह गए थे। इस घटना के बाद पटवारी का शव और कार तो बरामद हो गए थे लेकिन ठाकुर की डेडबॉडी नहीं मिली थी। कई दिन बाद श्योपुर में मिली एक डेडबॉडी को पैर के अंगूठे के मुड़े होने के रूप मे पहचान कर ठाकुर के परिजन लाए थे और उनका अंतिम संस्कार किया था। 

ऐसे हुई शिनाख्त

तहसीलदार ठाकुर के कार समेत बहने के बाद 10 सितम्बर को सीवन नदी में जो शव मिला, उसे पुलिस अफसरों ने कद काठी के आधार पर पहचानने की कोशिश की थी लेकिन तत्काल शिनाख्त न होने के कारण उसे दफना दिया गया। इसके बाद सोशल मीडिया के जरिये थानों को सूचना देने का काम किया गया। इस बीच तहसीलदार ठाकुर के परिजनों को भी अज्ञात शव के शरीर पर मिले लॉकेट और कपड़ों के आधार पर शंका हुई तो वे थाने में तस्दीक के लिए पहुंचे। वहां लॉकेट और कपड़े देखने के बाद पहचान की गई तो एसडीएम को आवेदन दिया गया और दफनाए गए शव को 16 सितम्बर को बाहर निकाला जाकर अंतिम संस्कार किया गया। 

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