राहुल गांधी देश में एक यात्रा निकाल रहे हैं, जिसे भारत जोड़ो यात्रा नाम दिया गया है पर ओल्ड ग्रैंड पार्टी में जिस तरह से टूटन हो रही है और धीरे-धीरे कांग्रेस पिलर पर खड़ी है वह टूट कर अलग होते जा रहे हैं। कांग्रेस नेतृत्व इतिहास में आज तक इतना कमजोर और असहाय कभी नजर नहीं आया। जिन कंधों पर कांग्रेस खड़ी थी वह एक एक कर अलग हो रहे हैं। मध्यप्रदेश में कांग्रेस का बड़ा चेहरा जो भविष्य में कांग्रेस का खेवनहार हो सकता था, ज्योतिरादित्य सिंधिया वे कांग्रेस को छोड़ गए, पर पूरी कांग्रेस यह शो ऑफ करती रही कि उसकी सेहत पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
इसी तरह की परिस्थितियां राजस्थान में सचिन पायलट के साथ लगातार चल रही हैं। कुछ समय पूर्व वे अपने 19 समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली में डेरा डाल लेते हैं उनकी नाराजगी देखने सुनने वाला या उसे दूर करने वाला कांग्रेस में कोई नहीं है। उन्हें प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया वे लंबे समय से कांग्रेस में हाशिए पर हैं। महाराष्ट्र में पूर्व सीएम चव्हाण या हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा हो उत्तर प्रदेश में राज बब्बर हो जो लगातार नेतृत्व से उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। आज तक के राजनीतिक इतिहास में गांधी परिवार को इतनी चुनौती कभी नहीं मिली। कांग्रेस से गांधी परिवार को अलग करने के लिए जी 23 जैसे ग्रुप का गठन किया गया, जिसमें गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा सहित देश के दिग्गज कांग्रेस के नेता शामिल थे। पिछले एक डेढ़ वर्ष से लगातार बैठक कर आपस में मेलजोल कर रहे थे, पर उनसे बात करना या उनकी नाराजगी दूर करने के लिए पार्टी ने कोई कदम नहीं उठाया। जिसके परिणाम स्वरूप आज गुलाम नबी आजाद जैसे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कांग्रेस पार्टी को अलविदा कहा साथ ही लगातार कई नेता कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह रहे हैं। चाहे राष्ट्रीय प्रवक्ता हो या गुजरात के यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष विश्वनाथ बघेला, राहुल गांधी के निकट रहने वाले कई नेताओं ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी है। जिसमें प्रमुख रूप से ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद सहित कई युवा नेता शामिल है। कांग्रेस पार्टी में यह प्रश्न लगातार सुनाई देने लगा है की 17 वर्ष तक सोनिया गांधी कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष रही और जब वे बीमार पड़ी तो राहुल गांधी को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया। राहुल गांधी के चुनाव में फेल होने के बाद दिए इस्तीफे के बाद सोनिया गांधी फिर कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गई। क्या कांग्रेस पार्टी में सोनिया, राहुल, प्रियंका के अलावा कोई ऐसा नेता नहीं है जो कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सके। सोनिया, राहुल, प्रियंका के नेतृत्व में कांग्रेस लगातार बुरी तरह से चुनाव हार रही है। साथ ही पार्टी लगातार टूट रही है। हो सकता है इसीलिए वरिष्ठ नेता जिन्होंने कांग्रेस को खड़ा करने और बढ़ाने में अपना जीवन लगा दिया वे कहीं और अपना ठिकाना तलाश कर रहे हैं। वर्तमान में चल रही परिस्थितियां कांग्रेस के लिए मुफीद नहीं है। कहीं ना कहीं यह यक्ष प्रश्न निकल के सामने आ रहा है कि टूटती हुई कांग्रेस को बचाने के लिए तुरंत कदम उठाने की आवश्यकता है पर राहुल गांधी एक यात्रा पर निकल रहे हैं न कि देश भर में बिखरती कांग्रेस को बचाने की।
(लेखक भाजपा मध्यप्रदेश के वरिष्ठ नेता हैं)
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