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चुनावी वर्ष में प्रयोग: योजनाओं का फीडबैक लेने शहरों और गांवों में बनेंगी समितियां

भोपाल

प्रदेश में सरकारी योजनाओं का फीडबैक लेने के लिए अब शहरों और गांवों में कमेटियों का गठन किया जाएगा। कई जिलों में इसको लेकर कलेक्टरों ने काम भी शुरू कर दिया है। इन कमेटियों के माध्यम से कलेक्टर अधिकारियों के बजाय समितियों से फीडबैक लेंगे और शासन भी अपने स्तर पर इस व्यवस्था का उपयोग अगले एक साल तक अपनी प्राथमिकताओं को जन जन तक पहुंचाने में कर सकेगा। मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान में कई जिलों में इस पर काम भी शुरू हो गया है।  

राज्य सरकार ने केंद्र व राज्य शासन की 33 हितग्राही मूलक योजनाओं का लाभ हर पात्र को दिलाने के लिए मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान शुरू कर रखा है। पीएम नरेंद्र मोदी के जन्मदिन से शुरू हुए इस अभियान को लेकर गांवों और शहरों में पंचायत और वार्डवार शिविर लगाए जा रहे हैं। इन शिविरों में मुख्यमंत्री, मंत्री और अधिकारी शामिल हो रहे हैं। सरकार ने तय किया है कि तीस सितम्बर तक जिन लोगों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिला है, उनके आवेदन लेकर 31 अक्टूबर तक उन्हें योजना का लाभ दिलाने का काम करेंगे। इसी कड़ी में अब ग्राम पंचायतों तथा शहरी क्षेत्र के वार्डों में लगने वाले शिविरों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए समितियों का गठन करने के निर्देश दिए जा रहे हैं। इन समितियों में कर्मचारियों और वार्ड व गांव के जागरुक नागरिकों को शामिल करने के लिए कहा गया है। 

कई जिलों में गांवों में नाममात्र कम्प्लेन, फिर लगेंगे शिविर

प्रदेश के कई जिलों में गांवों में लगाए गए शिविरों में नाम मात्र कम्प्लेन और आवेदन मिले हैं। सरकार ने इसे आदर्श नहीं माना है बल्कि यह माना है कि लोगों ने काम न होने की उम्मीद के चलते आवेदन नहीं किया है। इसलिए दस या उससे कम शिकायतें,आवेदन मिलने वाले गांवों में फिर से शिविर लगाने के लिए कहा गया है। इसके लिए कलेक्टरों को अपने स्तर पर काम करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। 

आनलाइन पंजीयन में देरी

जनसेवा अभियान में आने वाले आवेदनों को आनलाइन पंजीयन करना है। कई जिलों में इन आवेदनों को आनलाइन करने में देरी हो रही है। इसे देखते हुए कलेक्टरों से कहा गया है कि आनलाइन पंजीयन का काम जल्द पूरा कराएं। इतना ही नहीं हितग्राहियों के

हितलाभ का वितरण विधायकगणों, जिला पंचायत तथा जनपद पंचायत के अध्यक्ष एवं सदस्यगणों तथा अन्य जनप्रतिनिधियों से कराएं। हितलाभ वितरण शिविरों की सभी को सूचना अनिवार्य रूप से दें।

कोरोना काल में सफल रहीं थी क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी 

कोरोना काल में दो साल के अंतराल में प्रदेश में हर जिले में पंचायत स्तर पर क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटियों का गठन किया गया था। यह प्रयोग कोरोना मरीजों की तलाश और जांच के मामले में काफी सफल रहा था और इस मॉडल की सराहना देश भर में हुई थी। कई राज्यों ने एमपी के इस मॉडल को अपनाकर अपने राज्यों में भी ऐसी कमेटियों का गठन कराया था। 

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