भोपाल
भ्रष्टाचार की मिसाल बने धार जिले के कारम डैम निर्माण में भले ही 8 इंजीनियरों को सस्पेंड करने के बाद राज्य सरकार ने इस मामले में कार्यवाही बंद कर दी है और किसी के विरुद्ध करप्शन मामले में एफआईआर तक नहीं की गई है लेकिन बांध टूटने के बाद मचने वाली तबाही को रोकने के लिए किए गए प्रयासों पर अब राष्ट्रीय स्तर पर अध्ययन की बात कही जा रही है। इसको लेकर पिछले दिनों भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में दूसरे राज्यों से आए अफसरों के प्रतिनिधिमण्डल ने बैठक कर चर्चा की है। यह डैम 304 करोड़ में बन रहा था जिसमें 100 करोड़ रुपए से अधिक के करप्शन के आरोप मंत्री और अफसरों पर लगाये जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय में कार्यरत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान और केंद्रीय जल आयोग के अधिकारियों के पाँच सदस्यीय दल ने सोमवार को मंत्रालय में भेंट की है। इस दल ने मुख्यमंत्री चौहान के नेतृत्व में कारम डेम आपदा के उत्कृष्ट एवं समेकित प्रबंधन की प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि कारम डेम के आपदा प्रबंधन की केस स्टडी देशभर में अध्ययन का विषय बन रही है। केस स्टडी, राष्ट्रीय स्तर के प्रशासनिक, पुलिस, सेना, एनडीआरएफ और सिविल डिफेंस आदि संस्थानों में अध्ययन के लिये उपलब्ध कराई जायेगी।
मुख्यमंत्री चौहान को दल के सदस्यों और अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा ने बताया कि उन्होंने 9 से 11 सितंबर तक कारम बांध क्षेत्र, धार और खरगोन जिलों के प्रभावित ग्रामों का भ्रमण किया और आपदा से ग्रामवासियों और पशुधन सहित अन्य संपत्तियों की रक्षा की जानकारी प्राप्त की।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री चौहान ने निमार्णाधीन कारम बांध से पानी के रिसाव की जानकारी मिलते ही अगस्त माह में तीन दिन वल्लभ भवन सिचुएशन रूम में दिन-रात लगातार उपस्थित रह कर राष्ट्रीय स्तर के बांध विशेषज्ञों से चर्चा की और सम्पूर्ण स्थिति पर सतत निगाह रखते हुए समुचित तथा ठोस निर्णय लेकर इस प्रकार के आपदा प्रबंधन को अंजाम दिया, जिससे जन-हानि, पशुधन-हानि और संपत्ति-हानि की स्थिति निर्मित नहीं हो सकी। राज्य सरकार द्वारा तत्परता पूर्वक की गई कार्यवाही को इसलिए प्रशिक्षण संस्थाओं में अध्ययन में शामिल किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री चौहान से मंत्रालय में भेंट करने वालों में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के प्रो. डॉ. सूर्य प्रकाश, अजीत बाथम, हरिहर कुमार और अमृतलाल हलधर और केंद्रीय जल आयोग के शरद चंद्र शामिल थे।