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सरकारी जमीन पर खरीदने के विवाद में आए मंत्री रामखेलावन, कमिश्नर कोर्ट के आदेश से हुई फ़जीहत

भोपाल

प्रदेश के पंचायत और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री रामखेलावन पटेल अपने विधानसभा क्षेत्र की सरकारी जमीन को लेकर विवादों में हैं। जिस भूमि को लेकर मंत्री विवाद में फंसे हैं वह सरकारी बताई जा रही है। इस भूमि को वर्ष 2003 में सरकारी घोषित किए जाने के बाद राजस्व रिकार्ड में एंट्री करने के लिए कहा गया था लेकिन तब से सम्पूर्ण रकबे में एंट्री नहीं हुई और अब इस पर मंत्री, बीजेपी पार्षदों समेत कई अन्य लोगों को कब्जा है। मंत्री के अनुसार यह जमीन उनके द्वारा पत्नी के नाम पर खरीदी गई है। यह मामला अब इसलिए चर्चा में आ गया है क्योंकि तीन दिन पहले संभागायुक्त न्यायालय ने तहसीलदार के आदेश को यथावत मानते हुए उसके आगे की कार्यवाही के लिए आदेश किया है।

 संभागायुक्त न्यायालय रीवा द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि विनोद कुमार जैन ने इस मामले की शिकायत की थी। इसमें उमराही मथुरियान के खसरा नम्बर 154/2,158/2 और 179 शासकीय थीं जिसे फर्जी तरीके से गोकरण प्रसाद त्रिपाठी ने अपने नाम दर्ज करा लिया है। इन भूमियों का कोई पट्टा जारी नहीं होने की बात जांच में सामने आई थी। इसके बाद तहसीलदार ने भूमि को सरकारी दर्ज करने का आदेश दिया था। इसके उपरांत अपील और अन्य मामलों में सुनवाई होती रही पर तहसीलदार का आदेश कायम रहा। अब कमिश्नर न्यायालय ने भी इस पर मुहर लगाई है। 

यह जमीन है पंचायत राज्य मंत्री की पत्नी के नाम पर

पंचायत राज्य मंत्री रामखेलावन पटेल की पत्नी उषा किरण के नाम पर जो सरकारी जमीन दर्ज बताई जा रही है उसका खसरा नम्बर 158/2/2 है। इस जमीन का रामखेलावन पटेल द्वारा खरीदना बताया जा रहा है जिसके बाद उस पर राजस्व रिकार्ड में नाम दर्ज कर लिया गया। यह भूमि सरकारी बताई जा रही खसरा नम्बर 158 की अंशभूमि है। इसके विपरीत तहसीलदार ने 2018 में एक आदेश जारी कर पूर्व में हुए फैसले के आधार पर इस भूमि को सरकारी दर्ज करने का आदेश दिया था लेकिन पटवारी ने उस पर अमल नहीं किया और अब तक जमीन पर उषा किरण पटेल का नाम दर्ज है।  

यह कहना है मंत्री रामखेलावन पटेल का

मंत्री रामखेलावन पटेल का इस मामले में कहना है कि जो जमीन उन्होंने खरीदी थी वह उनकी पत्नी के नाम पर है। इस जमीन को लेकर सिविल कोर्ट, डीजे कोर्ट और हाईकोर्ट से उनके पक्ष में फैसला है। विरोधी पक्ष सुप्रीम कोर्ट भी गया था। जमीन पर कमिश्नर के फैसले में उनका नाम कैसे आया, इसका पता कर रहे हैं। खसरा नक्शा सुधार मे कुछ बातें सामने आई हैं जिसकी जानकारी ले रहे हैं। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि सरकारी जमीन पर उनका कब्जा है। 

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