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पांच साल बाद भी बकाया वैट, सेल्स और एंट्री टैक्स जमा नहीं, खाते सीज कर हो रही कुर्की

भोपाल

प्रदेश में जीएसटी लागू होने के पांच साल बाद भी हजारों प्रकरणों में वैट, केंद्रीय विक्रय कर और एंट्री टैक्स के बकायादार राशि जमा नहीं कर रहे हैं। ऐसे में इन बकायादारों से नकद राशि वसूली का अभियान चलाने के साथ आरआरसी जारी कर संपत्ति कुर्की की कार्यवाही वाणिज्यिक कर विभाग कर रहा है। साथ ही मध्यप्रदेश के बाहर के व्यापारियों के मामले में दूसरे राज्यों को भेजी गई आरआरसी के संबंध में संबंधित राज्यों और सर्किल क्षेत्र के अफसरों से समन्वय स्थापित कर बकाया वसूली की कार्यवाही की जा रही है। इस मामले में करीब 150 बड़े बकायादारों के खाते भी सीज किए गए हैं। जिन बकाया प्रकरणों में विभिन्न माननीय न्यायालयों से बकाया राशि स्थगित है, उनमें यथासंभव स्थगन समाप्त कराए जाने की कार्यवाही भी की जा रही है।

वाणिज्यिक कर विभाग पुराने अधिनियमों वेट, केन्द्रीय विक्रय कर, प्रवेश कर आदि से संबंधित बकाया राशि वसूल करने के लिए विशेष वसूली अभियान चला रहा है। इसमें यह तय किया गया है कि बकायादारों से नकद राशि वसूल की जाएगी। इसके लिए प्रदेश के सभी सर्किलों में इसके दायरे में आने वाले बकायादारों की सूची तैयार कर अफसरों को सौंपी गई है। विभाग के अनुसार वसूली अधिकारियों ने दिसम्बर 2022 तक 146.31 करोड़ की नकद वसूली की है जबकि पिछले वित्तीय वर्ष के माह दिसम्बर 2021 तक कुल नकद वसूली 52.62 करोड़ थी। इस साल पिछले साल के अपेक्षा 178 प्रतिशत अधिक नकद राशि जमा कराई गई है। अफसरों के अनुसार विभाग द्वारा वसूली के लिए टॉप 20 वसूली बड़े बकायादारों को चिन्हित करने का काम सितम्बर 22 में किया गया था। इसी के आधार पर रिकवरी का काम किया जा रहा है। वाणिज्यिक कर आयुक्त लोकेश जाटव खुद इस वसूली की मानीटरिंग कर रहे हैं। 

आरआरसी भी जारी कर रहे

टैक्स वसूली के मामले में डिमांड लेटर देने के बाद अगर एक माह में भुगतान नहीं किया जाता, तो डिमांड जारी करने वाले अफसर द्वारा राजस्व वसूली प्रमाण-पत्र (आरआरसी) जारी किया जाता है। आरआरसी के जरिये भी वसूली का काम तेजी से किया जा रहा है। भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 146 एवं 147 के प्रावधानों के तहत डिमांड जारी होने के बाद चल-अचल संपत्ति की कुर्की एवं नीलामी की कार्यवाही किए जाने के प्रावधान हैं। इसी के तहत वसूली अधिकारियों द्वारा ऐसे बकायादारों जिनके व्यवसाय बंद हैं, इससे संबंधित व्यक्तियों (फर्म मालिक/ भागीदार/संचालकों आदि) की चल-अचल सम्पत्तियों की खोज कर कुर्की एवं नीलामी की कार्यवाही की जा रही है। संभाग स्तर पर इस कार्य की मॉनिटरिंग प्रभारी संभागीय उपायुक्तों द्वारा की जा रही है।

135 बकायादारों के खाते सीज

विभाग ने वसूली में तेजी लाने के लिए मध्यप्रदेश वेट अधिनियम, 2002 की धारा-28(1) सहपठित वेट नियम 46 के अंतर्गत बैंक एवं देनदारों को सूचना देकर वसूली की कार्यवाही की जा रही है। अभी तक लगभग 135 बकायादारों के बैंक खाते सीज किए गए हैं। इसके साथ ही एक करोड़ से ज्यादा टैक्स, शास्ति, ब्याज राशि बकाया होने पर अपर आयुक्त और 50 लाख से ज्यादा बकाया होने पर उपायुक्त स्तर के अधिकारियों द्वारा बकायादारों के लंबित अपील प्रकरणों को प्राथमिकता के आधार पर निराकरण करने का काम किया जा रहा है। इसके लिए अपीलीय अधिकारियों द्वारा कैम्प किए जा रहे हैं।                                    24 हजार मामले, 250 करोड़ वसूला है मार्च तक

वाणिज्यिक कर विभाग के आयुक्त लोकेश जाटव बताते हैं कि सरकार अब जीएसटी के पेंडिंग बकाया की वसूली पर फोकस कर रही है। इसलिए वैट और अन्य टैक्सेस के बकाया को खत्म करने के लिए अभियान चला रहे हैं। अफसरों ने कहा है कि जिन मामलों में लिटिगेशन नहीं है, उसमें टीमों का गठन कर सर्किल के आधार पर अधिकारियों की टीमों द्वारा तेजी से वसूली की जाए। कोर्ट और अपील के केस को भी इसीलिए जल्द से जल्द खत्म कराने की तैयारी है ताकि अधिकारी जीएसटी के लिटिगेशन और अपील प्रकरणों पर फोकस कर काम कर सकें। प्रदेश में अब तक 160 करोड़ की वसूली हो चुकी है और मार्च तक ढाई सौ करोड़ तक की वसूली पर जोर दिया जा रहा है। विभाग ने इस तरह की राशि वसूलने के लिए 220 करोड़ का टारगेट रखा है और अभियान में केस निराकरण को देखते हुए इसे पार करने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि चूंकि अब पुराने टैक्सेस का दौर खत्म हो गया है। ऐसे में उनकी रिकवरी खत्म कराने पर जोर दे रहे हैं। चूंकि कई बार टैक्स पेयर बकाया चुकाने के बजाय लिटिगेशन में चले जाते हैं। इसलिए अब तक स्थिति क्लियर नहीं हो सकी है। 

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