मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने डिंडोरी एसपी संजय कुमार सिंह को तत्काल प्रभाव से हटाने के निर्देश दिए हैं। एसपी के विरुद्ध होली के दिन यह कार्रवाई बीते दिनों डिंडोरी में मिशनरी स्कूल के छात्रावास में हुए मारपीट और नाबालिग बालिकाओं से छेड़खानी के दुखद घटनाक्रम और इस पूरे मामले में पुलिस की लापरवाही के चलते की गई है। इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस के रवैये से सीएम बेहद नाराज़ थे। इसके बाद मुख्यमंत्री चौहान ने इस घटना पर निर्णय लेते हुए आज डिंडोरी एसपी को हटाने का एक्शन लिया है।
यह था मामला
जिले के जुनवानी ग्राम में स्थित एक मिशनरी स्कूल के चिल्ड्रेन होम में रहने वाली 8 नाबालिग छात्राओं ने प्रिंसिपल-केयरटेकर समेत 4 पर मारपीट और छेड़छाड़ का आरोप लगाया था जिस पर पुलिस ने आईपीसी की धाराओं समेत पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया और प्रिंसिपल को गिरफ्तार किया। इसके बाद प्रिंसिपल और अन्य के समर्थन में चिल्ड्रेन होम के अन्य बच्चे आए और इस कार्रवाई का विरोध करने लगे। उनका दावा है कि मिशनरी स्कूल के प्रशासन पुलिस ने गलत धाराएं लगाई हैं जिसके बाद पुलिस ने प्रिंसिपल को नोटिस देकर छोड़ दिया है। इसका खुलासा तब हुआ जब बाल आयोग की टीम यहां जांच के लिए पहुंची थी।
बताया गया कि पीडि़त छात्राएं स्कूल परिसर में ही स्थित छात्रावास में रहती थीं। स्कूल में छह सौ से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। छात्राओं का आरोप है कि पादरी सहित अन्य उनका यौन शोषण करने के साथ मारपीट भी करते हैं। प्रार्थना के दौरान पादरी सहित अन्य भी छात्राओं के साथ अश्लील हरकतें करते थे। मामले का खुलासा होते ही शुक्रवार की शाम ही आठ नाबालिग छात्राओं को जिला मुख्यालय के वन स्टाप सेंटर लाकर रखा गया। शनिवार को सुबह से ही महिला थाना में बयान दर्ज कराने का दौर चला। इस मामले में पुलिस ने आरोपित प्राचार्य नान सिंह यादव को गिरफ्तार कर लिया है
खुलकर विरोध में आया था विहिप
डिंडौरी जिले के समनापुर थाना अंतर्गत मिशनरी हायर सेकेंडरी स्कूल और छात्रावास में नाबालिग छात्राओं के साथ यौन शोषण का मामला सामने आने के बाद विश्व हिंदू परिषद भी विरोध में खुलकर सामने आ गया है। विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष चेतन चौहान की अगुवाई में सोमवार को पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपकर संबंधित संस्थान पर प्रतिबंध लगाने के साथ स्कूल और छात्रावास भवन गिराने की मांग की गई। परिषद की शिकायत पत्र में उल्लेख किया गया कि आदिवासी बहुल जिले में तथाकथित संस्थाएं शिक्षा व स्वास्थ्य सेवा की आड़ में मतांतरण करने के साथ शारीरिक, आर्थिक शोषण जैसी गतिविधियां संचालित करती है।

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