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वाह सरकार : महाकाल महालोक की मूर्तियां गिरीं तो खुद की मॉनिटरिंग चूक के लिए मंत्री ने कांग्रेस को जिम्मेदार बता दिया

भोपाल
महाकाल महालोक में तेज आंधी-तूफान से क्षतिग्रस्त हुई सप्तऋषियों की मूर्तियों के मामले में करप्शन के आरोपों से घिरी बीजेपी सरकार ने अब इसका ठीकरा कांग्रेस की तत्कालीन कमलनाथ सरकार पर फोड़ दिया है। बीजेपी के शासन में तैयार हुए महालोक में लगाई गई मूर्तियों के मॉनिटरिंग में भी किसी अफ़सर नेता पर जिम्मेदारी तय करने से सरकार ने इनकार कर दिया है। मौसम विभाग और उज्जैन संभागायुक्त की रिपोर्ट के आधार पर नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने क्लीनचिट दे दी है। उन्होंने कहा कि महाकाल महालोक के निर्माण में किसी तरह का भ्रष्टाचार नहीं हुआ है। तेज बारिश और आंधी के साथ बवंडर आने और 55 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने से एफआरपी से निर्मित ऋषियों की छह  मूर्तियां पैडस्टल से अलग होकर नीचे गिर गई और अधिक ऊंचाई से गिरने के कारण यह मूर्तियां क्षतिग्रस्त हो गई।
मीडिया से चर्चा में नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने बताया कि महाकाल लोक में सौ से अधिक एफआरपी की मूर्तियां स्थापित हैं। इनमें से सप्त ऋषियों की मूर्तियां दस फीट ऊंचे स्तंभ पर स्थापित थीं। इनमें से सात मूर्तियों की ऊंचाई  11 फीट की थी। ये मूर्तियां कमल कुंड, रुद्र सागर, त्रिवेणी मंडपम के बीच में स्थित होने और तेज आंधी, बारिश के प्रभाव से दस फीट की उँंचाई से गिरीं और तीन क्विंटल वजनी होने के कारण यह क्षतिग्रस्त हुईं हैं। मंत्री ने कहा कि इनके निर्माण में कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है। इस काम का कार्यादेश स्मार्ट सिटी कंपनी उज्जैन ने सात मार्च 2019 को जारी किया था। ठेकेदार को महाकाल रुद्र सागर एकीकृत विकास क्षेत्र फेज एक में शामिल विभिन्न कार्यो को स्कोप आफ वर्क एवं स्वीकृत दरों पर करने के निर्देश जारी किए गए थे। पौने आठ करोड़ की लागत से लगभग सौ मूर्तियां यहां लगाई गई थीं। वर्ष 2018 में हमारी बीजेपी सरकार थी तब इसके टेंडर हुए। इसके बाद कांग्रेस सरकार आई और उस समय तकनीकी स्वीकृति हुई और 13 जनवरी 2020 को इसका भुगतान हुआ। 28 फरवरी को भुगतान हुई उस समय कांग्रेस की सरकार थी और सज्जन सिंह वर्मा उज्जैन के प्रभारी मंत्री थे। उस समय के मुख्यमंत्री, नगरीय प्रशासन मंत्री और मुख्य सचिव की देखरेख में यह हुआ था। मंत्री ने कहा कि सिपेट ने इसका परीक्षण भी किया था। इस तरह की मूर्तियां देश और विदेशों में लगती रही हैं। एजेंसी को इनका तीन वर्ष के मेन्टेंनेस की जिम्मेदारी भी दी गई है। मंत्री ने कहा कि कांग्रेस इसमेें गंदी राजनीति कर रही है और उसने एक भी तथ्य या प्रमाण नहीं दिया जिससे भ्रष्टाचार प्रमाणित होता हो। कांग्रेस के समय भुगतान हुआ मतलब उनके समय भ्रष्टाचार हुआ ऐसा वे मान रहे हैं। उन्होंने चुनौती दी कि कोई प्रमाण हो तो कांग्रेस प्रस्तुत करे नहीं तो प्रदेश की जनता से इसके लिए माफी मांगे। मंत्री ने कहा कि इस मामले में जांच की जरूरत होगी तो सरकार आगे जांच कराएगी। गुणवत्ता पूरी तरह अच्छी हो तो तकनीकी सलाह भी हम लेंगे और आगे ऐसी स्थिति नहीं बने, यह सुनिश्चित करेंगे।
जब महाकाल लोक बना तो कांग्रेस ने क्रेडिट मांगा, बीजेपी ने तब खुद का प्रोजेक्ट बताया

इस मामले में खास बात यह है कि जब महाकाल लोक बनकर तैयार हुआ तो कांग्रेस ने इसका क्रेडिट लेने की कोशिश की तब बीजेपी ने साफ मना कर दिया था कि कांग्रेस की सरकार कोई काम महाकाल लोक में नहीं हुआ। अब जब करप्शन के आरोप में सरकार घिरी तो इसका ठीकरा बीजेपी सरकार ने कांग्रेस की कमलनाथ सरकार पर फोड़ दिया। बीजेपी सरकार के समय हुए निर्माण की मॉनिटरिंग की चूक से भी पल्ला झाड़ लिया गया। नियमानुसार अगर मूर्तियों को लेकर पुरानी सरकार ने कोई गलत निर्णय लिया था तो सरकार उसे बदल भी सकती थी लेकिन तब ऐसा नहीं किया गया और अब जब चौतरफा किरकिरी होने लगी तो कांग्रेस को जिम्मेदार बता दिया गया।

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