भोपाल
चुनाव से पहले बीजेपी में असंतुष्टों की नाराजगी और उपेक्षा को लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के बाद अब इसके डैमेज कंट्रोल में बीजेपी जुट गई है। इसके लिए प्रभारी मंत्रियों को एक हफ्ते में जिलों में पहुंचकर संघ के स्थानीय पदाधिकारियों के साथ समन्वय बैठकें कर नाराज लोगों को साधने के लिए कहा गया है। खुद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने इंदौर संभाग में 4 दिन तक मालवा क्षेत्र के असंतुष्ट नेताओ और चुनावी दावेदारों के टिकट की दावेदारी कर रहे विधायकों से वन टू वन किया है।
इंदौर में पिछले माह हुई संघ की बैठक में बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं और पूर्व जनप्रतिनिधियों में असंतोष को लेकर बात सामने आई थी। संघ ने अपनी रिपोर्ट के आधार पर पार्टी नेताओं को इससे अवगत कराते हुए नाराज लोगों को साधने के लिए कहा था। इसके बाद बीजेपी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को जिलों में भेजकर असंतुष्टों से संवाद करने और उनकी दिक्कतें जानने के लिए भेजा था। इस रिपोर्ट में भी असंतोष और नाराजगी की बात सामने आई जिस पर कोर कमेटी की बैठक में मंथन हुआ। फिर सभी सांसदों, विधायकों और जिला अध्यक्षों को भोपाल तलब करने के बाद अब प्रभारी मंत्रियों को जिलों में जाने के लिए कहा गया है। प्रभारी मंत्री जिलों में पहुंचकर जिला अध्यक्षों, संघ के स्थानीय पदाधिकारियों और अन्य नेताओं के साथ समन्वय बैठक करेंगे और आगे की रणनीति पर मंथन करेंगे।
दीपक जोशी दे चुके हैं बगावत के संकेत
इधर हाट पिपल्या से पूर्व विधायक और पूर्व सीएम कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी बगावत के संकेत दे चुके हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि उनके विकल्प खुले हैं। कांग्रेस और अन्य दल उनके संपर्क में हैं। वे कुछ भी फैसला आने वाले दिनों में ले सकते हैं। पूर्व मंत्री जोशी का कहना है कि हालात बुरे हैं। किसी की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। धरने पर बैठकर समस्या के निराकरण के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है। सूत्रों का कहना है कि रायसेन के एक विधायक और एक पूर्व मंत्री के बेटे को लेकर भी ऐसी ही चर्चा है। इंदौर में पूर्व विधायक सत्यनारायण सत्तन और भंवर सिंह शेखावत ने भी पार्टी नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
