भोपाल
तीन साल पहले हुए उपचुनाव में भाजपा ने जिन पूर्व मंत्री जयंत मलैया को पार्टी से भितरघात के आरोप में निष्कासन का नोटिस थमाया था, उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव घोषणा पत्र तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपते हुए इससे संबंधित समिति का प्रमुख बनाया गया है। इसके अलावा पिछले सालों में सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्म पर पार्टी के पदाधिकारियों की रीति नीति का विरोध करने वाले नेताओं को भी समितियों में तवज्जो दी गई है। इसके जरिये भाजपा यह संदेश देना चाह रही है कि किसी भी वरिष्ठ और जनाधार वाले नेता, पदाधिकारी की पार्टी में अनदेखी नहीं होगी। सभी को सम्मान के साथ काम दिया जाएगा।
इलेक्शन के पहले सबको साधने की कोशिश में जुटी बीजेपी ने चुनाव संबंधी समितियों के माध्यम से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं को साफ संदेश दिया है कि वरिष्ठ नेताओं की कोई अनदेखी पार्टी नहीं कर रही है बल्कि उन्हें पार्टी के कार्यक्रमों में सम्मानजनक स्थान देने का काम भी किया जा रहा है। चुनाव के पहले पार्टी के लिए तैयार किए गए जा रहे मुख पत्र (चुनाव घोषणा पत्र) के साथ अन्य समितियों में असंतुष्टों और नाराज नेताओं को मौका देकर पार्टी ने जाहिर कर दिया है कि आने वाले दिनों में और भी नेताओं को जिम्मेदारियां सौंपी जाएंगी। उपचुनाव में पार्टी विरोधी गतिविधियों को लेकर निष्कासन का नोटिस पा चुके पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं जिन्हें बीजेपी ने चुनाव घोषणा पत्र समिति का प्रमुख बनाया है। इस तरीके से पार्टी से नाराज चल रहे असरदार नेताओं को साधने का काम किया जाएगा।बीजेपी द्वारा घोषित की गई घोषणा पत्र समिति में पूर्व मंत्री मलैया के अलावा पूर्व मंत्री अजय विश्नोई भी शामिल हैं। विश्नोई भी जब तब पार्टी की कमजोरियों को लेकर सरकार और संगठन को आईना दिखाते रहे हैं। इनके साथ ही पूर्व मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय को भी पार्टी ने इस काम की जिम्मेदारी सौंपी है। हालांकि विजयवर्गीय पिछले चुनाव में भी इस समिति का हिस्सा थे। इसी तरह चुनाव प्रबंधन समिति में मंत्री गोपाल भार्गव को जरूर मौका नहीं मिला है लेकिन पार्टी ने जिला संयोजकों की जिम्मेदारी में कई पूर्व जिला अध्यक्षों, पूर्व विधायकों और अन्य जनप्रतिनिधियों को जिम्मेदारी सौंपी है।
विक्रम वर्मा, उमा भारती के नाम नहीं
अब तक सामने आई तीन समितियों में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, पूर्व केंद्रीय मंत्री विक्रम वर्मा, सत्यनारायण जटिया, केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटिक समेत कई वरिष्ठ नेताओं को कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी है पर माना जा रहा है कि आगे आने वाली आधा दर्जन से अधिक अन्य समितियों के गठन में संगठन इन नेताओं को भी तवज्जो देगा और प्रदेश के कार्यकर्ताओं में पार्टी नेताओं की नाराजगी और असंतोष नहीं होने का मैसेज दिया जाएगा।
शाह की प्राथमिकता में है एकजुटता
केंद्रीय मंत्री अमित शाह प्रदेश के जनाधार वाले नेताओं की नाराजगी और एकजुटता को लेकर सीरियस हैं। उनकी प्राथमिकता में है कि हर नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ता को काम मिलना चाहिए ताकि पार्टी को उसका लाभ मिले। इसलिए माना जा रहा है कि चुनाव में सभी नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
चुनाव प्रबंधन समिति में इस बार ऐसा बदलाव
पिछले चुनाव में वर्ष 2018 में बनाई गई चुनाव प्रबंधन समिति में प्रभात झा और राजेंद्र शुक्ला भी शामिल थे लेकिन इस बार घोषित समिति में दोनों ही नेता चुनाव प्रबंधन के बजाय चुनाव घोषणा पत्र समिति में शामिल किए गए हैं। चुनाव प्रबंधन समिति में पिछली बार पूर्व मंत्री माया सिंह का नाम था लेकिन वे चुनाव हार गई थीं। इस बार उन्हें समिति में स्थान नहीं मिला है।
प्रबंधन और घोषणा समिति में सिर्फ एक महिला
चुनाव प्रबंधन समिति में पार्टी ने एक भी महिला नेत्री को शामिल नहीं किया है। दूसरी ओर चुनाव घोषणा पत्र समिति में भी सिर्फ एक महिला लता वानखेड़े को शामिल किया गया है। इन समितियों में क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल को भी शामिल नहीं किया गया है।