ब्रिटेन के कैंब्रिज में प्रसिद्ध संत मुरारी बापू की राम कथा आयोजित हो रही है जिसमें ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक शामिल हुए। ऋषि सुनक ने अपने संबोधन की शुरुआत जय सियाराम के जयकारे से की। साथ ही कहा कि उन्हें अपने हिंदू पहचान पर गर्व है। वही उसके उलट हमारे देश में राम को काल्पनिक पात्र बताने की कोर्ट में होड़ लगी हुई थी जिसकी अगुआ कांग्रेस पार्टी थी। राम जन्मभूमि का केस जब कोर्ट में चल रहा था तो राम का अस्तित्व है, इसका प्रमाण देने के लिए सनातनियों को लगातार लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी वहीं कांग्रेस और उससे जुड़े हुए वकील कोर्ट में राम के अस्तित्व को नकार रहे थे। साथ ही कह रहे थे कि देश में चुनाव आने वाले हैं। राम मंदिर की सुनवाई आगे बढ़ाई जाए।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के सामने जनता ने जब जय श्री राम के नारे लगाए तो मुख्यमंत्री उन्हें जेल में डालने की बात करने लगी। स्वतंत्रता दिवस पर एक प्राइवेट स्कूल द्वारा रैली निकाली जा रही थी जिसमें कुछ बच्चों ने जय श्रीराम के नारे लगाए तो उन्हें पाइप से पीटा गया। एक तरफ ब्रिटेन में प्रधानमंत्री जय सियाराम का उद्बोधन से पहले जयकारा लगा रहे हैं वहीं भारत भूमि पर जय श्री राम बोलना विपक्ष के नेताओं को पसंद नहीं आ रहा और वह इसे सुनकर उग्र हो जाते हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक पर हर सनातनी को गर्व होना चाहिए कि उन्होंने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहते हुए भी अपने सनातन धर्म और प्रभु श्री राम, मां सीता के प्रति अपनी आस्था को व्यक्त किया। ब्रिटेन जैसे देश में जहां ईसाई धर्म को मानने वाले सबसे अधिक संख्या में निवास करते हैं, ब्रिटिश पीएम को अपने वोटों की चिंता नहीं हुई पर हमारे देश भारत में विपक्ष की पार्टियां तुष्टिकरण की राजनीति करते हुए अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए छद्म सेकुलर का चोला ओढ़कर सनातन धर्म का लगातार अपमान करते हैं। चंद वोटों की खातिर देश में सेकुलर शब्द का अर्थ है सनातन धर्म से दूरी बनाना और मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करना। मुझे लगता है कुछ वर्षों से देश की जनता अब इसे समझ गई है और इसीलिए धीरे-धीरे विपक्ष की पार्टियों को नकार रही है। इसलिए अब कांग्रेस और विपक्ष के नेता अपना चोला बदल रहे हैं और अपनी चुनाव प्रचार से पहले मंदिर जा रहे हैं और रामकथा करा रहे हैं, जो सनातन धर्म को मानने वालों की एक बड़ी जीत है पर इस पर विचार करना चाहिए कि यह चुनावी हिंदू कितने दिनों तक सनातन धर्म का सम्मान करेंगे। चुनाव के बाद फिर अपना चोला उतार कर सेकुलर होने का चोला पहनकर फिर सनातन धर्म और इस को मानने वालों से दूरी बना कर अपने मूल चरित्र में आकर अपने तुष्टिकरण के एजेंडे को लागू करेंगे।
(लेखक एमपी बीजेपी के वरिष्ठ नेता हैं)

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