यह बड़ा गंभीरता से विचार करने का विषय है कि दोयम दर्जे के चंद नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए लगातार सनातन धर्म और सनातन धर्म मानने वालों पर ओछी और निम्न स्तरीय टिप्पणियां कर रहे हैं, जो सनातन धर्म को मानने वालों को बर्दाश्त नहीं हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने अभी कुछ दिन पहले एक गाइडलाइन जारी की थी कि हेट स्पीच पर स्थानीय प्रशासन और पुलिस विभाग स्वत: संज्ञान लेकर मामला दर्ज करें, उसके बाद भी कुछ लोग सनातन धर्म पर लगातार अपनी बयान बाजी कर उसका अपमान कर रहे हैं। अगर इसी तरह की टिप्पणी इस्लाम या इसाई धर्म पर की गई होती तो आज पूरे देश में हाहाकार मचा होता। क्या सनातन धर्म को मानने वालों का गुनाह सिर्फ इतना है कि वह प्रतिक्रिया नहीं देते।चंद दिन पहले हमने देखा था किस तरह से एक मासूम का सर तन से जुदा कर दिया गया था राजस्थान में जबकि न उसने कोई विवादित टिप्पणी की थी और न वह किसी विवाद में शामिल था। पूरे देश में उस समय ऐसा माहौल बनाया जा रहा था कि लोकतंत्र खतरे में है और एक विशेष समुदाय को टारगेट किया जा रहा है। दु:ख इस बात पर होता है जब भी सनातन धर्म के खिलाफ बयान बाजी होती है उसमें विपक्ष के और कांग्रेस के नेता शामिल होते हैं। चाहे कर्नाटक का कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष जर्कीहोली या बिहार सरकार का मंत्री अब उदयनिधि हों। इनका गुनाह और ज्यादा संगीन इसलिए हो जाता है क्योंकि वह तमिलनाडु सरकार में मंत्री हैं और साथ ही उनके पिता वहां के मुख्यमंत्री हैं। पिता- पुत्र दोनों ने संविधान की शपथ ली है कि सबका सम्मान करेंगे। सबको एक बराबर की नजर से देखेंगे, उसके बाद सनातन धर्म पर इस तरह की ओछी और निम्न स्तर की टिप्पणी से यह सिद्ध होता है कि पिता पुत्र अपने राजधर्म का पालन नहीं कर रहे हैं। उदय निधि की टिप्पणी को किए हुए कई घंटे गुजर गए हैं पर अभी तक सोनिया, राहुल और प्रियंका वाड्रा का इस विषय पर कोई बयान नहीं आया जबकि डीएमके और कांग्रेस एक ही गठबंधन के हिस्से हैं। क्या देश में तुष्टिकरण के पुरोधा विपक्ष के दल बन गए हैं, ऐसे बयानों से तो यह लग रहा है कि मुस्लिम और ईसाई तुष्टिकरण के लिए पूरे देश की शांति को दाव पर लगाया जा रहा है।
देश के 262 प्रतिष्ठित हस्तियों ने सीजीआई को पत्र लिखकर इस विषय में दखल का आग्रह किया है जिसमें प्रमुख रूप से पूर्व जज नौकरशाह राज नायक सहित देश के जाने-माने नागरिक शामिल हैं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को तुरंत उदयनिधि को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करना चाहिए और उसके खिलाफ मामला दर्ज कर सख्त कार्रवाई करना चाहिए जिससे बाकी लोगों को नजीर पेश हो सके पर ऐसा होगा नहीं क्योंकि पिता अपने बेटे के गुनाहों पर पर्दा डालने में लगे हुए हैं। यही गलती धृतराष्ट्र ने की थी, अपने पुत्रों के पापों जानबूझकर नजर अंदाज किया था जिसका परिणाम यह हुआ कि पूरा कौरव वंश नष्ट हो गया था। परिवारवाद से संचालित हो रही राजनीतिक पार्टियां देश में सिर्फ तुष्टिकरण की अमर बेल के सहारे जिंदा हैं, यह सिद्ध हो रहा है।
(लेखक भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं)

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