वाशिंगटन। अमेरिका में राष्ट्रपति पद का चुनाव प्रचार अभियान मौजूदा आव्रजन नीतियों की तरफ बढ़ता जा रहा है। रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी में सबसे आगे चल रहे डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा को खत्म करने की वकालत की है। भारतीय आईटी पेशेवरों के बीच यह वीजा बहुत लोकप्रिय है। नीतिगत दस्तावेज में ट्रंप ने आईटी क्षेत्र की नौकरियों में विदेशियों के बजाय अमेरिकी नागरिकों को वरीयता देने की भी बात कही है। रिपब्लिकन नेता ने न्यूनतम मेहनताने को बढ़ाने की वकालत करते हुए कहा कि इससे कम कीमत पर श्रम हासिल करने की होड़ समाप्त हो जाएगी। ऐसे में कंपनियां बेरोजगार अमेरिकियों को नौकरी देने को मजबूर होंगी, सस्ते श्रम के लिए विदेशी नागरिकों पर निर्भर नहीं रहेंगी।
रीयल स्टेट व्यवसायी ट्रंप आव्रजन नीति जारी करते हुए फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग और सीनेटर मार्को रुबियो की कड़ी आलोचना भी की है। इन्होंने एच-1बी वीजा जारी करने की मौजूदा संख्या (65 हजार प्रतिवर्ष) को बढ़ाने की वकालत की है। ट्रंप ने कहा कि अमेरिकियों के ज्यादा काबिल होने के बावजूद आईटी सेक्टर की दो तिहाई नौकरियां एच-1बी वीजा धारकों को मिलते हैं। ट्रंप ने दावा किया कि आधे से ज्यादा एच-1बी वीजा न्यूनतम मेहनताना की श्रेणी में जारी किए जाते हैं। गौरतलब है कि यदि इस नीति को लागू किया गया तो इससे सबसे ज्यादा भारत के आइटी पेशेवर प्रभावित होंगे।
रीयल स्टेट व्यवसायी ट्रंप आव्रजन नीति जारी करते हुए फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग और सीनेटर मार्को रुबियो की कड़ी आलोचना भी की है। इन्होंने एच-1बी वीजा जारी करने की मौजूदा संख्या (65 हजार प्रतिवर्ष) को बढ़ाने की वकालत की है। ट्रंप ने कहा कि अमेरिकियों के ज्यादा काबिल होने के बावजूद आईटी सेक्टर की दो तिहाई नौकरियां एच-1बी वीजा धारकों को मिलते हैं। ट्रंप ने दावा किया कि आधे से ज्यादा एच-1बी वीजा न्यूनतम मेहनताना की श्रेणी में जारी किए जाते हैं। गौरतलब है कि यदि इस नीति को लागू किया गया तो इससे सबसे ज्यादा भारत के आइटी पेशेवर प्रभावित होंगे।
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