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मेरोपेनम इंजेक्शन खरीदी में घपला, लोकायुक्त ने किया तलब

जिस कम्पनी का इंजेक्शन खरीदना था, उससे दोगुना महंगा दूसरी कम्पनी का खरीदा गया
भोपाल
चिकित्सा शिक्षा विभाग के अफसर मेडिकल कॉलेजों में मेरोपेनम एंटीबायोटिक इंजेक्शन की करोड़ों रुपए की खरीदी में उलझ गए हैं। इस इंजेक्शन को दोगुने दामों पर खरीदकर घपले को अंजाम दिया गया। इस मामले की शिकायत लोकायुक्त से भी की गई है।  पूरे मामले का खुलासा होने के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग के संचालक द्वारा प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों द्वारा संचालित चिकित्सालयों में इंजेक्शन के साथ अन्य सभी तरह की दवाओं की खरीदी में की गई गड़बड़ी की जांच कर रिपोर्ट भेजने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं।
ताजा मामला ग्वालियर के मेडिकल कालेज का सामने आया है। मेरोपेनम इंजेक्शन खरीदने के आदेश के विरुद्ध यहां के अफसरों ने 200 रुपए के इंजेक्शन को दोगुनी कीमत पर 400 रुपए में खरीद लिया। इतना ही नहीं जिस कम्पनी का इंजेक्शन खरीदना था, उससे हटकर एक अन्य कम्पनी खरीदा गया और उसका करीब 62 लाख रुपए का भुगतान भी कर दिया गया। यह खरीदी वर्ष 2009 से 2014 तक की गई है। राज्य शासन को इसकी जानकारी तब हुई जब आडिटर जनरल ने शासन से इस मामले में जवाब तलब किया। अब चिकित्सा शिक्षा विभाग इस मामले में वसूली कराने के साथ यह मानकर चल रहा है कि अन्य मेडिकल कालेजों द्वारा संचालित अस्पतालों में भी ऐसा ही किया गया होगा। इस आधार पर पूरे मामले की जांच प्रदेश भर के मेडिकल कॉलेजों में कराने के निर्देश दिए गए हैं।
ऐसे किया घालमेल
इस मामले में इंजेक्शन और दवा खरीदी के लिए जारी किए गए आदेशों में गड़बड़ी ही मुख्य कारण बनी है। सूत्रों का कहना है कि राज्य शासन द्वारा जिस कम्पनी का इंजेक्शन खरीदने के लिए आदेश दिया गया था, उस कम्पनी का इंजेक्शन नहीं खरीदा गया। एक अन्य आदेश का हवाला देकर मेडिकल कालेज ग्वालियर ने दोगुना महंगा इंजेक्शन खरीद लिया। इससे वित्तीय अनियमितता हुई।
क्या है मेरोपेनम इंजेक्शन
मेरोपेनम एक कार्बापेनम एंटीबायोटिक इंजेक्शन है। यह बैक्टीरिया की कोशिका दीवार के विकास को अवरुद्ध करके जीवाणुओं का मारता है। इसका उपयोग कुछ बैक्टीरिया की वजह से होने वाले संक्रमण के इलाज में किया जाता है।
इनका कहना--
नहीं, नहीं। इस मामले में हम कुछ नहीं कह पाएंगे। -विनोद सेमवाल, प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग
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मेरोपेनम इंजेक्शन खरीदी में जो गड़बड़ी हुई थी, उसे सुधार लिया गया है। संबंधित कम्पनी से 62 लाख रुपए में से 60 लाख की वसूली भी कर ली गई है। यह सही है कि प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों की इस इंजेक्शन के साथ अन्य सभी तरह की दवाओं की खरीदी की जांच के लिए पत्र लिखा गया है।
-कुशवाह, डीएमई


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