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पुलिस फायरिंग में 6 की मौत, मंत्री-विधायकों के घर फूंके

नई दिल्ली/इंफाल. मणिपुर के चुड़ाचांदपुर में सोमवार शाम को भड़की हिंसा में अब तक 6 लोगों की मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि भीड़ ने आउटर मणिपुर के सांसद, स्वास्थ्य मंत्री फुंगझपांग तोसिंम समेत छह विधायकों के घर जला दिए थे। इसके बाद पुलिस ने भीड़ को कंट्रोल करने के लिए फायरिंग की, जिसमें विरोध कर रहे लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। शहर में सोमवार रात से अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा है और पैरामिलिट्री फोर्स को बुलाया गया है। 
 
क्या है मामला
इनर लाइन परमिट के मुद्दे पर सोमवार शाम 6 बजे हिंसा भड़की थी। युवाओं की भीड़ विधानसभा में तीन बिलों के पास होने के विरोध में 12 घंटे का बंद बुलाया था। पुलिस को शक है कि इस उपद्रव में इन्हीं का हाथ है। ये सभी बाहरी लोगों के राज्य में प्रवेश को नियंत्रित करने वाले बिल का विरोध कर रहे हैं। हिंसा रोकने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले भी छोड़े। क्षेत्र में कर्फ्यू लगा दिया गया। भीड़ ने एक थाने को भी आग के हवाले करने की कोशिश की थी।]
 
क्या है नए कानून में
नए कानून के मुताबिक मणिपुर में जो लोग 1951 से पहले बसे हैं, उन्हें ही संपत्ति का अधिकार होगा। इसके बाद बसे लोगों का संपत्तियों पर कोई हक नहीं होगा। ऐसे लोगों को राज्य से जाने के लिए भी कहा जा सकता है। 
 
क्या है आइएलपी
इनर लाइन परमिट एक विशेष पास है। यह अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मिजोरम में प्रवेश के लिए जरूरी है। इसे ब्रिटिश काल में लागू किया गया था। 1950 में मणिपुर क्षेत्र में इसे निरस्त कर दिया गया। 1972 में राज्य बनने से पहले वह असम में था। मणिपुर में आइएलपी लागू करने की मांग 1980 में उठी। 2006 को संगठन फ्रेंड्स बना और 2012 में आंदोलन शुरू हुआ। करीब 30 संगठन ज्वांइट कमिटी ऑन इनर लाइन परमिट सिस्टम (जेसीआइएलपीएस) बना कर आंदोलन कर रहे हैं। 
 
विधानसभा ने पास किए 3 विधेयक
विधानसभा ने मणिपुरी निवासी सुरक्षा विधेयक-2015, मणिपुर भू-राजस्व एवं भूमि सुधार (सातवां संशोधन) विधेयक-2015 और मणिपुर दुकान एवं प्रतिष्ठान (दूसरा संशोधन) विधेयक-2015 हैं पास किया। केंद्र सरकार और एनएससीएन (आई-एम) के बीच हुए शांति समझौते के संबंध में एक प्रस्ताव को भी मंजूरी दी। इन विधेयकों के पारित होने पर इनर लाइन परमिट की संयुक्त समिति के एक प्रवक्ता ने संतुष्टि जताई है। 
 
तीन साल से झड़प
जेसीआईएलपीएस पिछले तीन साल से प्रदर्शन कर रहा है। कई छात्र आमरण अनशन पर भी बैठे हैं। संगठन का कहना है कि राज्य में बाहरी लोगों की तादाद लगातार बढ़ रही है। वे मूल निवासियों की जमीन और नौकरी हड़प रहे हैं। मणिपुर के पड़ोसी राज्य नागालैंड में बाहरी लोगों के प्रवेश को सख्ती के साथ रोका जाता है।
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