भोपाल. पूरे प्रदेश का सबसे बड़ा आयोजन
विश्व हिंदी सम्मेलन है, जिस पर देश-दुनिया की दृष्टि है। 32 साल बाद देश
में हिंदी का यह विश्व समागम होगा। 10 से 12 सितंबर तक भाषा और साहित्य के
विद्वान, सिनेमा और राजनीति की शिखर हस्तियां यहां होगी। यहां हिंदी के
भविष्य की दिशा तय होगी। आखिरी दिन एक कवि सम्मेलन में मुनव्वर राणा, अशोक
चक्रधर और गजेंद्र सोलंकी समेत मंच के जाने-माने कवि कविता पाठ करेंगे।
हिंदी सम्मेलन क्यों?
सबसे पहले यह विचार 1973 में राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा की बैठक
में आया। दो साल बाद ही नागपुर में पहला सम्मेलन हो गया। लक्ष्य था-संयुक्त
राष्ट्र में हिंदी को कैसे मान्यता दिलाई जाए और इसे एक विश्व भाषा के रूप
में प्रभावशाली बनाया जाए। काका कालेलकर ने कहा था-हमारे लिए सेवा ही धर्म
है और हिंदी के माध्यम से हम यह करना चाहते हैं।
भोपाल में विषय एकदम स्पष्ट
हिंदी की गौरवगाथा का गान नहीं होगा। अंग्रेजी के कारण होने वाले
नुकसान पर भी चर्चा से हरसंभव परहेज। पिछले सम्मेलनों में इन पर खूब बहस हो
चुकी है। इस बार विषय स्पष्ट है-हिंदी के प्रभाव क्षेत्र को बढ़ाने के लिए
करना क्या है?
मोबाइल एप ‘दृश्यमान’
एक खास मोबाइल एप तैयार हुआ है-दृश्यमान। यह गूगल प्ले स्टोर पर
उपलब्ध है। इस एप पर हर 15 मिनट में हिंदी सम्मेलन के एक से डेढ़ मिनट के
वीडियो अपलोड होंगे। इस पर दुनिया में कहीं भी हिंदी प्रेमी सीधे सम्मेलन
की गतिवििध देख पाएंगे। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विवि ने
इसे तैयार किया है।
17 प्रदर्शनियां- महात्मागांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विवि की
टीम दुनिया भर में हिंदी की यात्रा और उसके उतार-चढ़ावों की कहानी बयां
करेंगी। डॉ. राजीव रंजन राय टीम का नेतृत्व करेंगे।
सबसे बड़ी शिकायत अपनों की है
प्रदेश की हिंदी संस्थाएं और विद्वान सम्मेलन से अनभिज्ञ हैं। उनकी
शिकायत है कि विषय और वक्ताओं के चयन में उनकी भूमिका तो दूर, अभी तो किसी
ने औपचारिक निमंत्रण तक नहीं भेजा है। वैसे आयोजन समिति ने यह जिम्मा जिला
कलेक्टरों को सौंपा है।
गगनांचल में हिंदी का हर पहलू
सम्मेलन के लिए ढाई सौ पेज की खास स्मारिका छपी है। नाम है-गगनांचल।
जाने-माने कवि अशोक चक्रधर इसके संपादक हैं। उनका कहना है कि इस संकलन में
देश के 80 से ज्यादा भाषाविद् और लेखकों ने हिंदी के विभिन्न पहलुओं पर
लिखा है। सम्मेलन स्थल पर 17 प्रदर्शनियां भाषा, संस्कृति और तकनीक की ताजा
और नई जानकारियां देंगी।
पहले सम्मेलन की एक झलक
नागपुर 1975। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शुभारंभ किया था।
इस दौरान हुए अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन में मध्यप्रदेश के डॉ.
शिवमंगलसिंह सुमन और बालकवि बैरागी की कविताएं भी गूंजी थीं। तब 30 देशों
के सवा सौ नुमाइंदे आए थे। सबसे खास बात दक्षिण भारत से 400 हिंदी
प्रेमियों ने शिरकत की थी। यूनेस्को के एक अफसर भी आए थे। कवयित्री महादेवी
वर्मा ने लगातार पहले दो सम्मेलनों में भाषण दिया।
...और इस बार नया क्या
माइक्रोसाॅफ्ट, गूगल, एपल और सीडेक के प्रतिनिधि हिंदी के लिए अपनी
योजनाएं बताएंगे। इसके साथ वे मोबाइल और इंटरनेट पर हिंदी का प्रयोग भी
सम्मेलन में आए मेहमानों को सिखाएंगे।
2500 हिंदी प्रेमियों को बुलाया है
यह सम्मेलन हिंदी के विकास में मील का पत्थर साबित होगा। शुभारंभ और
समापन अवसर के लिए हमने प्रदेश के ढाई हजार हिंदी प्रेमियों को बुलाया है।
अनिल माधव दवे, सांसद एवं उपाध्यक्ष आयोजन समिति
अनिल माधव दवे, सांसद एवं उपाध्यक्ष आयोजन समिति
आज भोपाल आएगी एसपीजी की टीम
प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लगभग पांच हजार जवान तैनात रहेंगे।
डीआईजी स्तर के चार आैर पुलिस अधीक्षक स्तर के 15 अधिकारी होंगे। जिम्मा
भोपाल आईजी योगेश चौधरी संभालेंगे। रविवार शाम पुलिस नियंत्रण कक्ष में
बैठक हुई। एसपीजी (स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप) की टीम सोमवार को भोपाल पहुंच
जाएगी। पुलिस मुख्यालय से डीआईजी, एसपी, डीएसपी समेत 2500 जवान लगाए गए
हैं। लगभग 2500 जवान जिला बल से तैनात होंगे। 18 पुलिस अधीक्षक, 24 एएसपी,
65 डीएसपी आैर 140 इंस्पेक्टर तैनात होंगे। एयरपोर्ट, सड़क मार्ग, हेलीपेड
आैर कार्यक्रम स्थल की जिम्मेदारी डीआईजी स्तर के अफसर की होगी। होटलों,
स्टेशन आैर बस स्टैंड पर चेकिंग जारी है। इंटरनेट कैफे संचालकों से उनके
यहां आने वालों की जानकारी ली जा रही है।
दस में से सात सम्मेलन विदेश में, तीन भारत में
1975 नागपुर
1976 माॅरीशस
1983 दिल्ली
1993 मॉरीशस
1996 त्रिनिदाद एंड टुबैगो
1999 लंदन
2003 सूरीनाम
2003 सूरीनाम
2012 जोहानिसबर्ग
2015 भोपाल
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