भोपाल। वे पुरुष; जो झूठे दहेज प्रताड़ना के मामलों में जेल की
हवा खाने को मजबूर हैं या अपनी पत्नी और
पुलिस की प्रताड़ना से दु:खी हैं,
उनकी हेल्प के लिए इंटरनेशनल संस्था 'सेव इंडियन फैमिली' पिछले कई
सालों से काम कर रही है। 'सेव इंडिया फैमिली' ने पत्नी प्रताड़ित पुरुषों
के नये आंकड़े जारी किए हैं। इसके मुताबिक, मप्र और छत्तीसगढ़ के 29.86%
फीसदी पुरुष पत्नियों से दु:खी हैं।
दरअसल,संस्था लगातार उन प्रदेशों को फोकस कर रही है जहां पुरुषों की
प्रताड़ना के मामले बढ़ रहे हैं। यही कारण है कि संस्था ने मप्र की राजधानी
भोपाल के पुरुषों को प्रताड़ना से बचाने 'भाई' यानी 'BHOPAL AGAINST
INJUSTICE' नाम से संगठन की स्थापना भी की है।
कुछ महीने पहले जब संस्था के फाइटर(वॉलिंटियर) यक्ष भोपाल आए थे, तब उन्होंने बताया था, 'जब भी किसी फैमिली में पारिवारिक कलह होती है, तो तमाम पत्नियां बदले की भावना को लेकर पति पर दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज करा देती हैं।चूंकि कानून दहेज प्रताड़ना के मामले में बेहद सख्त है, लिहाजा पुरुषों को लंबे समय तक मानसिक और शारीरिक कष्ट उठाना पड़ते हैं।'
उल्लेखनीय है कि अंतरराष्ट्रीय संस्था 'सेव इंडियन फैमिली' इसी मुद्दे को लेकर लंबे समय से लड़ाई लड़ती आ रही है। इसके फाइटर(वांलिटियर) दुनियाभर में मौजूद हैं।
मप्र और छग के मर्दों का दर्द..
- वर्ष 2014 में 38 हजार कॉल आए हैं।
- सबसे ज्यादा फोन छग और मप्र के पुरुषों के आए।
- इन प्रदेशों में पत्नियों से पीड़ित पुरुषों का प्रतिशत बढ़ा।
- नेशनल हेल्पलाइन नंबर 08882498498 पर हर रोज लगभग 40 कॉल्स आती हैं।
(SIF की हेल्पलाइन के मुताबिक)
इन राज्यों का हाल देखें...
- हेल्पलाइन पर दूसरे सबसे ज्यादा कॉल 12.33% कर्नाटक और 11.27% दिल्ली से आए।
- नॉर्थ ईस्ट,जम्मू-कश्मीर,केरला,तमिलनाडू और वेस्ट बंगाल के पुरुषों की स्थिति बेहतर।
- बिहार,झारखंड और राजस्थान के पुरुष बाकी राज्यों से न के बराबर प्रताड़ित।
पुरुषों का आत्महत्या प्रतिशत अधिक
- देश में पुरुषों के आत्महत्या करने का प्रतिशत महिलाओं से दोगुना।
- देश में हर साल 96 हजार पुरुष आत्महत्या करते हैं। हर 8.5 मिनट में एक विवाहित पुरुष मौत को गले लगाता है।
- दो लाख पुरुष और महिलाएं 498 ‘ए’ के झूठे मामलों में हर साल गिरफ्तार होते हैं।
- देश की विभिन्न अदालतों में चल रहे 498 ‘ए’ मुकदमे(दहेज प्रताड़ना) 98 फीसदी झूठे।
- बलात्कार के 76 प्रतिशत मामले झूठे।
सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें बताया है विवाह में क्रूरता
- अंतरंगता न रखने का एकतरफा फैसला लेना, भले ही शारीरिक रूप से सक्षम है फिर भी बिना कारण बताए ऐसा करना।
- पति या पत्नी कोई भी अकेले ही यह फैसला ले कि विवाह के बाद बच्चा न करना।
- इतना तनाव कि साथ न रह सके।
- संबंधों में रूखापन या लगाव न होने को क्रूरता नहीं माना जा सकता। फिर भी बोलचाल में अक्खड़पन, चिड़चिड़ापन, भेदभाव या उपेक्षा से विवाहित जीवन में एक दूसरे को सहन करना मुश्किल हो जाता है।
- लंबे समय तक नाराजी, निराशा और कुंठा होने को मानसिक क्रूरता मान सकते हैं।
- लगातार आरोप लगाना,अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करना, प्रताड़ना और मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है।
- बिना एक-दूसरे की अनुमति या जानकारी दिए पति या पत्नी कोई भी स्टरलाइजेशन करा ले, वह क्रूरता की श्रेणी में आता है।
- सहृदयता को खत्म करते हुए अपनी खुशी के लिए प्रताड़ित करना क्रूरता है।
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बहुत अच्छे ! दुनिया के हर पुरुष को यह बात मान लेना चाहिए की शादी करके अपने सर पर यह बोझ लेने की क्या ज़रुरत, वह भी इस कलयुग में जहाँ की महिला ऐसी धूर्त हो गयी हो |