भोपाल
मुख्यमंत्री
शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मां, बेटी और बहन का सशक्तिकरण सरकार की
प्राथमिकता है। इसके लिए हम लाडली लक्ष्मी 2 योजना भी लाने वाले हैं।
इसमें जो बेटियां लाडली लक्ष्मी बनी हैं, उनके भविष्य की योजनाओं को लेकर
प्रावधान किए जाएंगे। बेटियों की पढ़ाई में कोई बाधा न हो। कोरोना खत्म होते
ही मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के जरिये फिर बेटियों का विवाह कराया
जाएगा। बेटियों को अलग-अलग सेक्टर में जॉब मिले, यह काम किया जाएगा। पुलिस
की यूनिफार्म में बेटियां निकलती है तो अपराधी बिलों में घुस जाते हैं।
पुलिस में तीस प्रतिशत आरक्षण देकर बेटियों को आगे लाने का काम उनकी ही
सरकार ने किया है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में गठित स्व-सहायता समूह के सदस्यों को 300 करोड़ रुपए के बैंक ऋण वितरित किए। कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में हुए वर्चुअल कार्यक्रम में सभी जिलों में ग्राम पंचायत स्तर पर समूह सदस्य वर्चुअल माध्यमों से जुड़े। मंत्री तुलसीराम सिलावट, ओपी सकलेचा, प्रभुराम चौधरी, रामखेलावन पटेल की मौजूदगी में हुए कार्यक्रम में बताया गया कि प्रदेश में अब तक आजीविका मिशन से 40 लाख से अधिक ग्रामीण निर्धन परिवारों को लगभग 3.50 लाख स्व-सहायता समूहों से जोड़ कर बैंक ऋण के रूप में 2762 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। इस दौरान देवास जिले की रुबीना, धार जिले की ममता से बात की। रुबीना ने कहा कि ठेकेदारी सिस्टम खत्म कर समूह के जरिये काम कर रहे हैं। ममता ने घर से चलाए जाने वाले ब्यूटी पार्लर की जानकारी दी। इसके अलावा शहडोल की आशा राठौर, श्योपुर की सरोज, बड़वानी की सुधा से संवाद भी सीएम ने किया। इन सभी ने बताया कि समूह से जुड़ने के बाद वे 10 से 35 हजार रुपए तक महीने में कमा लेती है जो उनके परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने में सहयोगी बना है।
पुरुष अर्थ का दास है
कार्यक्रम के दौरान सीएम
चौहान ने भीष्म पितामह के जीवन त्यागने के पहले उनके द्वारा दिए गए ज्ञान
का जिक्र करते हुए कहा कि पुरुष अर्थ का दास है। यह भीष्म पितामह ने कहा
था। वैसे ही आज के दौर में भी अर्थ यानी पैसे का महत्व है। पैसा जरूरी है
आजीविका के लिए, पैसा आत्मविश्वास, आत्मसम्मान के लिए भी जरूरी है। इसलिए
मेहनत करें और सरकार इस काम में महिलाओं की मदद करेगी। उन्होंने कहा कि
बहनों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए बैंकों से लगातार संपर्क में हैं।
बैंकों के पीछे डंडा लेकर पडेÞ हैं कि योजना में लाभ दो और उसके कारण
लगातार सुधार की स्थिति बन रही है।
