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फंड कमी और ब्रांडिंग में उलझी मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना, 4 माह बाद भी बेरोजगारों को लोन भी नहीं

  भोपाल
राज्य सरकार की युवाओं को रोजगार देने के लिए तैयार की गई मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना फंड की कमी और योजना की ब्रांडिंग में फंस कर रह गई है। इसके चलते यह योजना लागू किए जाने के आदेश के बाद भी जिलों में अधिकारियों को इसका क्रियान्वयन करने से रोका गया है। अब सरकार मार्च में इस योजना को व्यापक प्रचार प्रसार के साथ स्वरोजगार के ऋण दिलाकर लांच कराने की तैयारी में है। 

मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना की घोषणा एक नवम्बर 2021 को प्रदेश के स्थापना दिवस पर की गई थी। स्वरोजगार के जरिये युवाओं को उद्यमी बनाकर उन्हें दूसरों को नौकरी देने की स्थिति में पहुंचाने की अवधारणा को लेकर शुरू की गई इस योजना में युवाओं को पांच लाख से पचास लाख रुपए तक का लोन दिए जाने का प्रावधान किया गया है। प्रदेश में इस साल 12 जनवरी को रोजगार मेले का आयोजन किया गया था। तब मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना पूरे जोर शोर से लागू करने की बात कही गई। इसके निर्देश भी जारी हुए लेकिन ऐन वक्त पर इसे रोक लिया गया और यह तय किया गया कि 25 फरवरी को होने वाले रोजगार मेले मे इस योजना को लागू कर उसके अंतर्गत हितग्राहियों को ऋण दिलाने का काम किया जाएगा और इसके व्यापक हित के बारे में बताया जाएगा।

 सूत्रों का कहना है कि 2 दिन बाद होने वाले रोजगार मेलों के पहले एक बार फिर उद्यम क्रांति योजना की लांचिंग टाल दी गई है। जिलों में पदस्थ उद्योग और एमएसएमई अफसरों से कहा गया है कि अब इस योजना की लांचिंग अलग से प्रचार प्रसार के साथ मार्च माह में की जाएगी। इसलिए अधिकारी इस योजना के हितग्राहियों के प्रकरण तैयार कराकर रखें ताकि उस समय लोन की राशि वितरित कराई जा सके। दूसरी ओर सूत्रों का कहना है कि सरकार इसलिए योजना टाल रही है क्योंकि बैंक लोन स्वीकृत करने में टालमटोल कर रहे हैं और सरकार इसके लिए पर्याप्त फंड नहीं दे पा रही है। ऐसे में सिर्फ रोजगार मेले का ही आयोजन कर एक व्यक्ति को दिए जाने वाले लोन से जुड़े व्यक्तियों को मिलने वाले काम को रोजगार से जोड़ रही है। 


पहले रोजगार मेले का ही खर्च नहीं मिला जिलों को

 
रोजगार मेले में होने वाले खर्च की राशि ही जिलों को शासन ने इस बार अभी तक नहीं भेजी है। जिलों में 12 जनवरी को हुए मेलों में वेबकास्टिंग, आयोजन संबंधी तैयारियों और प्रचार प्रसार समेत अन्य कामों में औसतन 60 हजार रुपए खर्च हुए हैं। बड़े जिलों में यह खर्च दो लाख रुपए तक पहुंचा है। इसके बदले शासन द्वारा बड़े जिलों को छोड़कर औसत जिलों में संबंधित आयोजक विभागों को सिर्फ 29 हजार रुपए का बजट दिया है। ऐसे में पुरानी देनदारी विभाग पर होने से अधिकारी आयोजन में दिक्कतें भी बता रहे हैं। अब जबकि 25 फरवरी को रोजगार मेले हो रहे हैं तो इसमें रोजगार और कौशल विकास विभाग से सीधा संबंध नहीं होने के चलते इन विभागों ने किनारा कर लिया है और ऐसे में इस मेले के खर्च का भुगतान भी जिला अधिकारियों के लिए परेशानी की वजह बन रहा है। 

जिलों को कुल 16 लाख रुपए का आवंटन

12 जनवरी को हुए रोजगार मेले के लिए जिलों को कुल 16 लाख रुपए का आवंटन किया गया है। इसमें भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, सागर, उज्जैन समेत सात शहरों को खर्च राशि के बदले 45 हजार रुपए दिए गए हैं जबकि बाकी 45 जिलों को 29-29 हजार रुपए का आवंटन किया गया है। अब शेष राशि का भुगतान शासन से मिलने वाले आवंटन के बाद हो पाएगा, वहीं दूसरे रोजगार मेले का खर्च अलग अफसरों के सिर पर आ गया है। 



कांग्रेस ने कहा, श्वेत पत्र जारी कर सरकार

दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस मीडिया सेल के प्रभारी केके मिश्रा ने आरोप लगाया है कि प्रदेश में बेरोजगार युवाओं का आंकड़ा 34 लाख पहुंच गया है। इसके बाद भी सरकार युवाओं को रोजगार देने के लिए कानून नहीं बना रही है। मिश्रा ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि प्रदेश सरकार 25 फरवरी को रोजगार दिवस मना रही है। हर महीने प्रदेश में रोजगार दिवस मनाया जाएगा, इसलिए प्रदेश में बेरोजगारी पर शिवराज सिंह चौहान की सरकार को श्वेत पत्र जारी करना चाहिये ताकि यह पता चल सके कि सरकार ने कितने बेरोजगारों को रोजगार दिया है। मिश्रा ने कहा कि विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही लोगों को रोजगार के झूठे सपने दिखाये जा रहे हैं।

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