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17 कलेक्टरों को सरकार के आदेश की चिंता नहीं, 12 साल पुराने भूमि आवंटन गड़बड़ी का जवाब नहीं दे रहे

  भोपाल

प्रदेश के 17 जिलों के कलेक्टर 12 साल पहले अपने जिलों में आवंटित की गई भूमि के हस्तांतरण, फिजिकल वेरीफिकेशन और भूमि आवंटन के मामलों में हुई नियमों की अनदेखी को लेकर की गई आपत्ति का जवाब नहीं दे सके हैं। राजस्व विभाग इन कलेक्टरों को रिमाइंडर भेजकर परेशान हैं। कई बार यह मसला सीएम शिवराज सिंह चौहान के द्वारा ली जाने वाली बैठकों में भी उठ चुका है लेकिन इस पेंडेंसी को लेकर अब तक कलेक्टरों की गंभीरता सामने नहीं आई है। 

यह सभी मामले वर्ष 2010-11 में लोक लेखा समिति और भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक द्वारा आडिट के दौरान पकड़े गए थे और राज्य शासन से इन मामलों में रिपोर्ट मांगी थी। स्थिति यह है कि सीएम के समक्ष पेश की जाने वाली रिपोर्ट में भी इन मामलों में जिलों से जानकारी अप्राप्त बताकर इन मामलों में कार्यवाही नहीं की जा रही है। जिन जिलों के कलेक्टर आवंटित की गई और हस्तांतरित भूमि के फिजिकल वेरीफिकेशन और संचालन की कार्यवाही इतने सालों में नहीं करा सके हैं, उसमें गुना, ग्वालियर, अशोकनगर, सागर, छतरपुर, टीकमगढ़, सिंगरौली, रीवा, इंदौर, बुरहानपुर, विदिशा, राजगढ़, भोपाल शामिल हैं। भोपाल जिले के तीन मामले अग्रिम आधिपत्य के प्रकरण में अंतिम आवंटन की समय सीमा का पालन नहीं किए जाने, सरकरी भूमि के आवंटन में युक्तियुक्त नीति का पालन नहीं करने और चिकित्सा शिक्षा के उद्देश्य से भूमि आवंटन की शर्तों को पूरा नहीं करने के मामले में की गई आपत्ति का जवाब नहीं दिए जाने के मामले शामिल हैं। भिंड, शहडोल व उज्जैन जिलों में भी इसी तरह के मामले 12 साल से पेंडिंग हैं। दूसरी ओर नर्मदापुरम में सरकारी भूमि के आवंटन के लिए युक्तियुक्त नीति का पालन नहीं किए जाने का मामला 2010-11 से पेंडिंग हैं। प्रमुख राजस्व आयुक्त कार्यालय इन मामलों में सिर्फ रिमाइंडर भेजने की कार्यवाही कर रहा है। 

भू राजस्व और डायवर्सन शुल्क वसूली में इन जिलों की कार्यवाही धीमी

राजस्व विभाग के अंतर्गत भू राजस्व और डायवर्सन शुल्क की बकाया वसूली के मामले में जो जिले प्रदेश भर में गंभीर नहीं हैं, उनमें ग्वालियर, अनूपपुर, सागर, छतरपुर, छिंदवाड़ा, जबलपुर, इंदौर, सतना, सीधी, सिंगरौली, उज्जैन समेत 12 जिले शामिल हैं। इन सभी जिलों को लेकर लोक लेखा समिति द्वारा की गई आपत्ति में कहा गया है कि 2014-15 के केस पेंडिंग हैं। सतना में तो डायवर्सन वसूली किए बगैर आदेश भी जारी कर दिया गया है। लाखों रुपए का राजस्व न वसूलने वाले इन जिलों में डायवर्सन शुल्क और भू राजस्व वसूली की राशि तय होने के बाद भी वसूली नहीं हो पा रही है। बताया जाता है कि कलेक्टरों द्वारा वसूली को लेकर बरती जाने वाली लापरवाही के चलते तहसीलदार और राजस्व अनुविभागीय अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं देते हैं। इसके चलते सरकार को राजस्व नुकसान उठाना पड़ रहा है। प्रमुख राजस्व आयुक्त कार्यालय ने इन जिलों को भी रिकवरी की प्रक्रिया पूरी कर आडिट आपत्ति के निराकरण के निर्देश दिए हैं। 

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