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सुप्रीम कोर्ट की तल्खी के बाद एमपी के OBC आयोग की रिपोर्ट पेश, 35 प्रतिशत आरक्षण देने की सिफारिश

भोपाल

सुप्रीम कोर्ट में पंचायत और नगर निकाय चुनाव को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के बीच राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपनी रिपोर्ट राज्य शासन को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों के लिए 35 फीसदी आरक्षण दिए जाने की सिफारिश की गई है। आयोग की इस रिपोर्ट को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जाएगा। 

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण की रिपोर्ट पेश नहीं कर पाने पर राज्य सरकार को कहा कि अगर जल्द रिपोर्ट पेश नहीं की गई तो महाराष्ट्र की तर्ज पर चुनाव कराने के आदेश दिए जाएंगे। इसके बाद राज्य सरकार हरकत में आई और गुरुवार की शाम को मंत्री भूपेंद्र सिंह, रामखेलावन पटेल, पिछड़ा वर्ग आयोग  के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन, सदस्य प्रदीप पटेल और कृष्णा गौर ने आयोग की ओबीसी आरक्षण की रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी। मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि आयोग ने अपनी रिपोर्ट राज्य शासन को सौंप दी है। इसमें सिफारिश की गई है कि पंचायत और नगर निकाय के चुनाव में सभी स्तर पर ओबीसी के लिए कम से कम 35 प्रतिशत आरक्षण तय किया जाए। इसको लेकर राज्य सरकार आरक्षण में संशोधन संबंधी प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजे। सर्वे और जनसंख्या के आधार पर ओबीसी बाहुल्य ब्लाक और जिलों को ओबीसी वर्ग बाहुल्य क्षेत्र घोषित किया जाए और बस्तियों में सेवा कार्य किए जाएं। आयोग ने यह भी कहा है कि ओबीसी वर्ग की सूची में जो जातियां केंद्र की सूची में शामिल नहीं हैं, उन्हें शामिल करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाए। 

यह भी कहा आयोग ने सिफारिश में

आयोग के प्रथम प्रतिवेदन" में यह भी कहा कि प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता लगभग 48 प्रतिशत है। अभी और शोध व अनुसंधान कार्य शेष है। कुल मतदाताओं में से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के मतदाता घटाने पर शेष मतदाताओं में अन्य पिछड़ा वर्ग का मतदाता 79 प्रतिशत है। आयोग ने अपने विश्लेषण में पाया है कि वयस्क मताधिकार प्राप्त हुए लगभग 70 वर्ष हो चुके है, फिर भी आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन के कारण आज भी अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए ऐसी बाधाएं हैं जिसको प्रतिवेदन में विस्तृत में दर्शाया गया है, जो उन्हें राजनैतिक समानता पाने से रोक रही हैं और इस कारण जनसंख्या के अनुपात में राजनैतिक प्रतिनिधित्व नगरीय निकाय एवं पंचायतों में काफी कम है।

यह कहा था सुप्रीम कोर्ट ने

सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव मामले में मध्य प्रदेश सरकार से ओबीसी आरक्षण से संबंधित डाटा मांगा है। गुरुवार को मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि ओबीसी आरक्षण संबंधित डाटा 25 मई तक तैयार हो जाएगा। इसलिए सरकार को थोड़ा समय दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात भी हैरानी जताई कि मध्य प्रदेश में पिछले 2 साल से 23 हजार पंचायत सीटें खाली हैं और सरकार समय मांग रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि अगर मध्य प्रदेश सरकार द्वारा दिया गया डाटा पूर्ण नहीं होगा, तो महाराष्ट्र के आधार पर यहां पंचायत चुनाव होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम हैरान हैं कि बिना किसी रिप्रेजेंटेटिव के 23000  पंचायत पद मध्य प्रदेश में खाली हैं। इस पर मध्य प्रदेश सरकार ने कहा कि जल्द ही सरकार इस मामले में संबंधित डाटा एकत्र करेगी। सुप्रीम कोर्ट अब शुक्रवार को दोपहर 2 बजे मामले की सुनवाई करेगा। 

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