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65 साल हो सकती है MP में कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र, सीएम को भेजा प्रस्ताव

भोपाल
नई भर्ती करने में नाकाम सरकार के पास कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र 65 साल करने का प्रस्ताव पहुंचा है। मध्य प्रदेश राज्य कर्मचारी कल्याण समिति ने इसका सुझाव मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजा है। इसमें कर्मचारी संगठनों द्वारा आयु सीमा बढ़ाने की मांग का हवाला देकर 65 साल की उम्र में कर्मचारियों को रिटायर करने के लिए कहा गया है।
राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त समिति के अध्यक्ष रमेश चंद्र शर्मा की ओर से मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी गई नोट शीट में कहा गया है कि विभिन्न कर्मचारी संघों के प्रतिनिधियों द्वारा शासकीय विभागों में लगातार अधिकारी एवं कर्मचारियों की कमी होने के कारण शासकीय काम प्रभावित होने की बात कही गई है। इसलिए कार्य की अधिकता को देखते हुए अधिवार्षिकी आयु 62 वर्ष के स्थान पर 65 वर्ष करने की बात संगठनों ने कही है। शर्मा ने इसको लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय को दिए सुझाव में कहा है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक की रिटायरमेंट उम्र 65 साल है। प्रदेश में सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए अधिकारियों कर्मचारियों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इनकी संख्या में निरंतर कमी होने से अधिकारियों, कर्मचारियों के अभाव में शासकीय कार्य प्रभावित हो रहा है। शर्मा ने कहा है कि शासकीय विभागों में पिछले वर्षों में नई भर्ती नहीं होने से एवं विभिन्न विभागों में हजारों पद रिक्त होने और प्रतिमाह सैकड़ों अधिकारी कर्मचारी रिटायर होने से आगामी विधानसभा एवं लोकसभा के निर्वाचन को संपन्न कराने के लिए अनुभवी अधिकारियों कर्मचारियों की आवश्यकता होगी। इसलिए शासकीय विभागों में नई भर्ती होने तक तथा शासकीय विभागों में रिक्त पदों को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र 62 वर्ष से बढ़ाए जाने का अनुरोध किया गया है।

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3 comments

  1. Anonymous says:

    Uchit hai

  2. Anonymous says:

    Uchit hai

  3. Anonymous says:

    शासकीय कर्मचारी, अधिकारीयों की सेवा अवधि 100 वर्ष कर देना चाहिए और इस बीच कोई शासकीय कर्मचारी *मर* जाए तो उसके आश्रितों को फिर अनुकंपा नौकरी दे देना चाहिए इससे फायदा यह होगा कि शासकीय विभागों में नई भर्ती नहीं करना पड़ेगी, कर्मचारियों की कमी भी नहीं रहेगी, व्यापम की परीक्षा लेने का पूरा खर्च भी बच जाएगा। *क्योंकि भारत में जनसंख्या की अत्यधिक कमी है, इन्हीं शासकीय कर्मचारियों का शासकीय नौकरियों पर पट्टा लिखा है इन शासकीय कर्मचारियों के बाप-दादाओं ने ही देश को स्वतंत्र कराया है और किसी ने नहीं, बाकी लोग तो देश के गुलाम हैं। लिखने को तो बहुत कुछ है परंतु सरकार निकम्मी है, देश की वास्तविक सरकार तो सचिव लेवल के अधिकारी चलाते हैं, जब तक उनका फायदा ना हो वे देश की भलाई का, जनता की भलाई का कोई अच्छा काम करते ही नहीं है

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