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CM बोले, पहले 500 वाले गुरुजी विंध्याचल से निकालते थे गंगाजी, अब कायम रखेंगे मान सम्मान

भोपाल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के नव नियुक्त शिक्षकों से कहा है कि मुख्यमंत्री मतलब मध्य प्रदेश के प्रथम सेवक के नाते मैं आपको वचन देता हूं कि आप के मान-सम्मान को बनाए रखने में हम कभी कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। एक जमाना था जब शिक्षा की पूरी व्यवस्था चौपट कर दी गई थी। गुरुजी, शिक्षाकर्मी पता नहीं कितने वर्ग बन गए और उसके कारण विद्यार्थियों का भविष्य भी चौपट हुआ और शिक्षा की व्यवस्था भी चौपट हुई। मैं पहले सांसद था तब मैं एक स्कूल में गया क्योंकि बच्चों से जुड़ना मुझे बचपन से बहुत अच्छा लगता है। मैंने स्कूल में बच्चे से एक सवाल पूछ लिया कि बेटा बताओ गंगाजी कहां से निकली हैं तो वह बच्चा अचकचा गया और फिर कहा कि विंध्याचल से निकली हैं तो मैंने जो गुरुजी पढ़ा रहे थे, उनसे पूछा कि भाई क्या पढ़ा रहे हो इन बच्चों को विंध्याचल से थोड़ी निकली थी गंगाजी, तो गुरुजी का उत्तर था कि 500 रूपए में तो साहब विंध्याचल से ही निकलेंगी गंगा जी। उस समय तो शिक्षकों का ही भविष्य चौपट हो गया था तो बच्चों का भविष्य कैसे संवारते। हम उस व्यवस्था को सुधारने की लगातार कोशिश करते करते अब इस मुकाम पर पहुंचे हैं।
राजधानी में भेल दशहरा मैदान में शिक्षकों के प्रशिक्षण में सीएम शिवराज ने कहा कि शिक्षक नौकर नहीं है शिक्षक निर्माता है। इसलिए आपका जो काम है वो  नौकरी का काम नहीं है। आप यह भूल जाओ कि आप कोई नौकरी करने वाले शासकीय सेवक हैं। आप बच्चों का भविष्य गढ़ने वाले गुरु हैं और यह मैं अच्छी तरह जानता हूं आप जैसा बच्चों का भविष्य गढ़ेंगे, बच्चे वैसे ही आने वाले समय में भारत गढ़ के दे देंगे। मध्यप्रदेश बना कर दे देंगे।
उन्होंने कहा कि मैं सरकारी स्कूल में पढ़ा हूं। अपने गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ता था। उस समय स्कूल में टाट-पट्टी नहीं होती थी। एक एक फट्टा बिछाने के लिए साथ में ले जाना पड़ता था। एक काख में फट्टा दबाते थे, दूसरे में बस्ता होता। स्कूल जाकर सबसे पहले अपने शिक्षक के पैरों पर सिर रखकर प्रणाम करते थे। यह श्रद्धा का भाव होता था।बआज भी मैं कह रहा हूं, "प्रणाम गुरुजी"...
मुख्यमंत्री ने कहा किनज्ञान देने का काम तो हमको करना ही है लेकिन शिक्षा का दूसरा उद्देश्य और है कौशल देना। कौशल देने का मतलब है, बच्चा इतना योग्य बन जाए की नौकरी-रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें न खाना पड़े। इसलिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद, व्यवसायिक शिक्षा अब छठवीं क्लास से ही प्रारंभ करने का फैसला नई शिक्षा नीति में किया गया है। व्यवसायिक शिक्षा का मतलब यही है कि केवल किताबी शिक्षा नहीं, उसके साथ-साथ अलग-अलग चाहे कृषि की हो, बागवानी की हो। नई शिक्षा नीति में कई चीजों के प्रावधान है उसकी शिक्षा भी देना है।

भड़के शिक्षकों ने की कमिश्नर की हूटिंग

मुख्यमंत्री से प्रशिक्षण लेने आए नवनियुक्त शिक्षक भड़के। सीएम का भाषण समाप्त होने के बाद आयुक्त लोक शिक्षण अभय कुमार वर्मा के आभार के दौरान शिक्षकों ने हूटिंग शुरू कर दी। नवनियुक्त शिक्षक कह रहे थे कि हमें घोषणा का लालच देकर बुलाया गया था। नव नियुक्त शिक्षकों ने कहा कि हमसे कहा गया था कि तुम लोगों का प्रोबेशन पीरियड 3 साल की जगह 2 साल होगा और वेतन 70 परसेंट की जगह 100 परसेंट मिलेगा। नव नियुक्त शिक्षक सीएम की घोषणा नहीं करने से नाराज हुए।
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