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विधानसभा अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास के अग्राह्य पर वोटिंग पर कांग्रेस का वाकआउट, सदन स्थगित

 भोपाल

विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के विरुद्ध कांग्रेस द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव की ग्राह्यता पर चर्चा के बीच नियम कायदों को लेकर कांग्रेस और सत्ता पक्ष के बीच मंगलवार को बहस हुई। इसके बाद सत्ता पक्ष द्वारा प्रस्ताव व चर्चा न कराने को लेकर वोटिंग कराई गई जिस पर कांग्रेस ने सदन से बहिर्गमन कर दिया। कांग्रेस की गैरमौजूदगी में वित्तीय बजट और सभी विधेयक पारित कर सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। 

मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविन्द सिंह ने कांग्रेस द्वारा विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि नियमानुसार 14 दिन के अंदर उस पर कार्यवाही के लिए अध्यक्ष का निर्णय आना चाहिए। इस पर संसदीय कार्य मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कभी भी विधान सभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास नहीं आता है, संकल्प आता है।  एक और बात यह है कि वह समय सीमा के बाद दिया गया था। अध्यक्ष गौतम ने कहा कि प्रस्ताव देने के बाद 14 दिन 17 मार्च को हुए हैं। कांग्रेस सदस्यों द्वारा प्रस्तुत अविश्वास प्रस्ताव ग्राह्य योग्य नहीं हैै पर संसदीय परम्परा, संसदीय मान्यताओं को और ऊंचाई प्रदान करने के लिए 27 मार्च की तारीख तय कर दिया हूं। इस पर मंत्री मिश्रा ने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री होने के नाते उनकी आपत्ति है कि यह नियम-प्रक्रिया से नहीं है। यह अविश्वास प्रस्ताव अध्यक्ष के खिलाफ नहीं आ सकता है। इस बहस के बीच सदन की कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित हो गई।

सीतासरन ने ऐसे नियम बताकर बदले हालात

भोजनावकाश के बाद सदन समवेत हुआ तो एक बार अविश्वास को लेकर बहस होने लगी। इस बीच पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीतासरन शर्मा ने कॉल एण्ड शकधर के  पेज नंबर 120, पैरा-3 का उल्लेख करते हुए कहा कि नियमों में बिल्कुल स्पष्ट है कि यदि संकल्प नियमों के विपरीत हो तो उस पर किसी भी स्थिति में चर्चा नहीं हो सकती है।  दूसरी बात यह है कि चौदह दिन की गिनती के लिए पहला दिन और आखिरी दिन छोड़ा जाता है तो इस तरह से उसको सोलह दिन होना चाहिए जो कि हुए नहीं हंै। इसलिए दोनों स्थितियों में भी उस पर चर्चा कैसे हो सकती है? साथ ही चूंकि अध्यक्ष ने कक्ष में उसको अग्राह्य योग्य माना है तो किसी भी अग्राह्य माने गए विषय पर यहां पर चर्चा कैसे हो सकती है? इसलिए जो अविश्वास शब्द का उल्लेख करते हुए आसंदी के खिलाफ लाया गया था, उसे अग्राह्य किया जाए। मंत्री नरोत्तम ने इसे प्रस्ताव के रूप में प्रस्तुत कर दिया जिस पर विधानसभा अध्यक्ष ने वोटिंग करा दी और वह सदन में नामंजूर हो गया। 

यह है नियम 

सदन में अध्यक्ष गिरीश गौतम ने इसके नियम पढ़कर बताया कि अध्यक्ष, उपाध्यक्ष को हटाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 179 के खण्ड (ग) के अधीन कहा गया है कि किसी संकल्प की सूचना देना चाहें तो वह उसे लिखित रूप से प्रमुख सचिव या सचिव को देगा। किसी संकल्प, उप नियम 1 के अधीन सूचना प्राप्त होने पर संकल्प प्रस्तुत करने की अनुमति के लिए प्रस्ताव अध्यक्ष द्वारा निश्चित किए गए किसी दिन की कार्यसूची में संबंधित सदस्य के नाम से दर्ज कर दिया जाएगा परन्तु इस तरह से निश्चित किया गया दिन संकल्प की सूचना प्राप्त होने के तिथि से 14 दिन बाद का कोई दिन होगा। विपक्ष की ओर से  संकल्प नहीं अविश्वास प्रस्ताव है। अविश्वास प्रस्ताव सरकार के खिलाफ आता है। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं आता है। 

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